चंडीगढ़ः कुरुक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के मामले को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने डीजीपी हरियाणा को आदेश दिए कि पहले से डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई हिदायतों की सख्ती से पालन करें और सुनिश्चित करें कि सभी पुलिस कर्मचारी अपनी समुचित पहचान, यूनिफॉर्म और नेम प्लेट आदि के साथ ही प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी पर तैनाती दें। ड्यूटी पर नियुक्त सभी कर्मचारियों की विस्तृत जानकारी रजिस्टर में दर्ज हो व पुलिस कार्रवाई के दौरान घायल हुए प्रदर्शनकारी किसानों को को तुरंत चिकित्सा सहायता मिले।
‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ के संयोजक दीपक लोहान ने एडवोकेट प्रदीप रापडिय़ा व प्रवीन कुमार के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि कृषि अध्यादेशों के विरोध में रैली निकाल रहे किसानों पर पुलिस के भेष में बिना वर्दी वाले व्यक्ति ने लाठीचार्ज करते हुए कई किसानों के सिर फोड़ दिए। और तो और जान बचाकर भागते हुए बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा गया।
याचिका में कहा गया कि गृह मंत्री अनिल विज ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि पुलिस द्वारा कोई लाठीचार्ज किया ही नहीं गया। दूसरी तरफ हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री व कई लोकसभा सदस्यों ने लाठीचार्ज को गलत ठहराया और जांच की मांग की। ऐसे में मामले की गहन जांच जरुरी है। किसान संगठन के वकील प्रदीप रापडिय़ा की बहस सुनाने के बाद कोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि याचिका में लगाए गए आरोपों के बारे में कोर्ट कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती लेकिन पहले से डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस महकमे को दी गई हिदायतों की सख्ती अनुपालना होनी चाहिए और याचिकर्ता द्वारा दिए गए लीगल नोटिस पर त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए।
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