farmers wandering for compensation
सत्य खबर, चंडीगढ़
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खेतों में जलभराव की समस्या के समाधान की मांग उठाई है। हुड्डा का कहना है कि कैथल, हिसार,भिवानी,अंबाला,सिरसा, रोहतक, जींद, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, करनाल, और फतेहाबाद समेत प्रदेश के कई इलाकों में किसान जलभराव की समस्या का सामना कर रहे हैं। किसानों की हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। हफ्तेभर से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने जल निकासी के प्रभावी कदम नहीं उठाए। पिछले कुछ दिनों की बारिश के चलते धान,कपास और ज्वार की हजारों एकड़ फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। आने वाले दिनों में तेज बारिश का अनुमान है। ऐसे में किसानों को डर है कि यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है
Also read: चीन: धरती पर गिरने वाला है चीन का रॉकेट
हुड्डा ने कहा कि हालात इसी तरह बने रहे तो मौसम की मार और सरकार की अनदेखी के चलते किसान की फसल का बड़ा हिस्सा पानी की भेंट चढ़ जाएगा। इससे धान,कपास, गन्ना व ज्वार समेत अन्य फसलों के उत्पादन पर बड़ा असर पड़ेगा। पहले ही किसान भारी नुकसान में है । farmers wandering for compensation
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि सरकार को तुरंत गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा देना चाहिए। साथ ही जल्द से जल्द जल निकासी का प्रबंध किया जाना चाहिए ताकि किसानों को और नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पिछले कई फसली सीजन से किसान प्रकृति की मार झेल रहा है। लेकिन सरकार के ऐलान और फसल बीमा योजना के बावजूद किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया। इससे एक बार फिर स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए लाभकारी साबित नहीं हो रही है
Also read: कर्जे से परेशान शख्स बेचने चला अपना घर, फिर हुआ कुछ ऐसा बदल गई किस्मत
पिछले दिनों सामने आए आंकड़ों से पता चला कि सिर्फ 5 साल में बीमा कंपनियों ने 40,000 करोड़ों पर का मोटा मुनाफा कमाया है। जबकि किसानों को लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है। ऊपर से जले पर नमक छिड़कते हुए सरकार ने कई फसलों के बीमा की प्रीमियम राशि भी बढ़ा दी है। धान के लिए प्रति एकड़ 713.99 से बढ़ाकर 749.69 रुपये, कपास के लिए 1731.50 से बढ़ाकर 1819.12 रुपये, बाजरा के लिए 335.99 से बढ़ाकर 352.79 रुपये और मक्का के लिए 356.99 से बढ़ाकर 374.85 रुपये प्रीमियम राशि कर दी गई है। हर सीजन में किसान की मर्जी के बिना उनके खाते से प्रीमियम काट लिया जाता है। लेकिन मुआवजा देने के लिए ना सरकार आगे आती और ना ही बीमा कंपfarmers wandering for compensation
कांग्रेस के उदयपुर में सम्पन्न नवसंकल्प चिंतन शिविर के दौरान कृषि मामलों को लेकर बनाई गई कमेटी ने अपनी सिफारिशों में फसल बीमा योजना का भी जिक्र किया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कमेटी ने सिफारिश की थी कि फसल बीमा का कार्य सरकार को अपने अधीन लेना चाहिए। निजी कंपनियों की बजाय सरकारी कंपनियों को बीमा करना चाहिए। क्योंकि निजी कंपनियां सिर्फ अपने मुनाफे के बारे में सोचती हैं, ना कि किसानों के कल्याण बारे। यही वजह है कि आज किसान मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे हैं और कंपनियां करोड़ों के वारे न्यारे कर रही हैं।नी।। ।
Scrap aluminium transport logistics Aluminium scrap material flow Scrap metal shipping
Metal waste reclamation plant Ferrous material salvage operations Iron and steel scrapping and reprocessing
Ferrous material scrap appraisal, Iron scrap recovery and repurposing, Scrap metal waste