Farmers happy with new crop of paddy
सत्य खबर , नई दिल्ली। चीन ने हाल ही में PR23 नामक चावल की एक किस्म विकसित की है. इस किस्म की खासियत है कि इसकी हर साल रोपाई करने की जरूरत नहीं है. एक बार PR23 की खेती शुरू करने के बाद आप इससे चार से आठ सालों तक फसल काट सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, PR23 की जड़े बहुत मजबूत होती हैं. ऐसे में PR23 फसल की कटाई करने के बाद अपने- आप उसकी जड़ों से नए पौधे निकल आते हैं. ये नए पौधे भी पहले की तरह ही तेजी से बढ़ते हैं और समय पर ही फसल देते हैं.Farmers happy with new crop of paddy
न्यूज वेबसाइट मिंट के मुताबिक, युन्नान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अफ्रीका के एक जंगली बारहमासी किस्म के रेगुलर वार्षिक चावल ओरिजा सैटिवा के क्रॉस-ब्रीडिंग द्वारा PR23 किस्म को विकसित किया है. PR23 अपनी गुणवत्ता के साथ- साथ पैदावार के मामले में भी नंबर वन है. इसकी उपज 6.8 टन प्रति हेक्टेयर है, जो नियमित सिंचित चावल के बराबर है. वहीं, इसे पारंपरिक चावलों के मुकाबले उगाना भी काफी सस्ता है, क्योंकि इसमें श्रम के साथ- साथ बीज और रासायनिक उर्वरकों की भी जरूत बहुत कम होती है. पिछले साल दक्षिणी चीन में 44,000 से अधिक किसानों ने इस किस्म की खेती की थी. इससे उन्हें बंपर उपज मिली.
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इनपुट लागतों में 49% की बचत हुई है
नेचर सस्टेनेबिलिटी जर्नल के शोध के अनुसार, इस बारहमासी चावल उगाने से पर्यावरण को भी काफी लाभ पहुंचा है. पानी में वृद्धि के साथ-साथ एक टन कार्बनिक कार्बन (प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष) भी मिट्टी में जमा हुआ है, जिससे चावल के पौधों को भी फायदा हुआ. वहीं, किसानों द्वारा भी इस बारहमासी किस्म को पसंद किया जा रहा है. इसकी खेती शुरू करने से किसानों को हर सीजन में श्रम में 58% और अन्य इनपुट लागतों में 49% की बचत हुई. वहीं, शोधकर्ताओं का दावा है कि यह आजीविका में सुधार, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और अन्य अनाजों पर अनुसंधान को प्रेरित करके खेती को बदल सकता है.Farmers happy with new crop of paddy
नई किस्म की खोज क्यों महत्वपूर्ण है?
बता दें कि युन्नान अकादमी वर्ष 1970 से ही इस तरह की चावल की किस्म पर काम कर रहा था, पर उसे शुरुआती दशक में सफलता नहीं मिली. इसके बाद, अकादमी ने 1990 के दशक की शुरुआत में भी बारहमासी चावल पर काम शुरू किया. 1995 और 2001 के बीच अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने एक परियोजना शुरू की, जहां चीन के एक युवा मास्टर छात्र फेंगयी हू ने बारहमासी चावल प्रजनन पर काम किया.
निधि कटौती के कारण 2001 में परियोजना को समाप्त कर दिया गया था. लेकिन अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद हू ने द लैंड इंस्टीट्यूट, कंसास और यूएस के सहयोग से युन्नान विश्वविद्यालय में शोध जारी रखा और अंत में उसे PR23 कीस्म विकसित करने में सफलता मिली. ऐसे में पहली किस्म 2018 में चीनी उत्पादकों के लिए जारी की गई थी.
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