सत्य खबर । सफीदों
करनाल के राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की नवीनतम गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू-303 का बीज इस सीजन में किसानों को सुलभ नहीं कराया जाएगा। इसका एक कारण तो यह है कि इस बीज को अभी अधिसूचित नहीं किया गया है और दूसरा यह कि इसकी बिजाई की अंतिम तारीख निकल गई है।
इसकी पुष्टि करते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि इससे संबंधित अधिकारियों की कमेटी की बैठक 9 जुलाई को तय थीं नहीं हुई तो यह अगले सप्ताह होगी लेकिन बीज इस सीजन में इसलिए भी नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इसकी बिजाई की अंतिम तारीख 5 नवंबर बीत चुकी है।
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बता देें कि संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया में जारी एक वीडियो में करीब डेढ़ महीने पहले कहा था कि किसानों को थोड़ा-थोड़ा बीज सुलभ कराया जाएगा।
वीडियो के वायरल होने से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उत्तरप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के भी कई किसान इस अधिकतम उपज क्षमता के बीज के लिए प्रयासरत हैं और ऐसी स्थिति का नाजायज फायदा उठाते हुए बीज के धंधे मे लगी कई संस्थाओं की ओर से किसी अपने किसी ब्रांड के साथ 303 जोड़कर गेहूं बीज बेचे जा रहे हैं।
बीज ना देने का कारण डर है या घोटाला
इधर कई किसानों ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि संस्थान व कृषि विभाग आंखें मूंदे बैठा है और किसी बीज के लिए किसान धक्के खा रहे हैं, यह देश के किसान के साथ नाइंसाफी है।नाम ना छापने की शर्त पर कृषि प्रशासन से कई बार सम्मानित हो चुके एक प्रगतिशील किसान का कहना है कि बीज में घोटाला करने की मंशा संबंधित अमले की रही होगी और पंजाब में धान के बीज में घोटाले में बड़ी कार्रवाई होने से यहां के अधिकारी डरे होंगे शायद इसीलिए बीज जारी नहीं किया गया वरना जब बीज तैयार हो ही गया है तो विस्तार के लिए किसानों को तत्काल प्रभाव से दिया जाना चाहिए था। कई अन्य किसानों ने आशंका जताई है कि बीज पीछे के दरवाजे से बीज के धंधेदारों को जा चुका होगा या अगले वर्ष के लिए चला जाएगा।
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