Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
सत्य खबर, लखनऊ
क्या किसी की उल्टी करोड़ों में बिक सकती है? अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा सवाल है। लेकिन ये सच है। उल्टी भी करोड़ों में बिकती है। इसके तस्कर भी होते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वन विभाग और एसटीएफ ने ऐसे ही उल्टी के चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से एक करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाली उल्टी बरामद हुई है।Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
पहले जानिए ये उल्टी किसकी होती है?
जिस उल्टी की बात हम कर रहे हैं, वो स्पर्म व्हेल मछली की होती है। जी हां, स्पर्म व्हेल मछली। इस उल्टी को एम्बरग्रीस कहते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी डिमांड काफी होती है और इसकी कीमत भी। क्योंकि इसी एम्बरग्रीस से परफ्यूम बनता है।Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
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स्पर्म व्हेल मछली क्या है?
व्हेल मछलियों के बारे में तो आपने सुना होगा। स्पर्म ऐसे ही व्हेल मछली की एक विशेष प्रजाति होती है। इसका शरीर काफी भारी भरकम होता है। पूरी तरह से विकसित स्पर्म व्हेल मछली एक बस से भी बड़ी हो सकती है।
स्पर्म व्हेल मछली की लंबाई 59 से 61 फीट तक होती है। 35 से 45 किलोग्राम तक इसका वजन होता है।Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
धरती पर मौजूद जीवों में सबसे बड़ा दिमाग स्पर्म व्हेल का ही होता है।
स्पर्म व्हेल के फेफड़े भी काफी मजबूत होते हैं। एक बार में ये 90 मिनट तक पानी में गोते लगा सकती हैं। यह बहुत गहराई तक जा सकती है।
जिस मछली की उल्टी करोड़ों में बिकती है, उसका खाना भी काफी अधिक होता है। इन्हें मछलियां काफी पसंद होती हैं। खासतौर पर कटलफिश और स्क्वीड।
मछली की उल्टी का क्या होता है?
स्पर्म व्हेल मछली की उल्टी को एम्बरग्रीस कहते हैं। यही एम्बरग्रीस लखनऊ के तस्करों के पास से बरामद हुआ है। हालांकि, स्पर्म व्हेल की हर उल्टी एम्बरग्रीस नहीं होती है। दरअसल, इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है। स्पर्म व्हेल मछलियां खाने में ज्यादातर कटलफिश और स्क्वीड खाती हैं। लेकिन इनकी हड्डियां ये व्हेल मछली पचा नहीं पाती है। तो वो इन्हें उल्टी करके शरीर से बाहर निकालती हैं। हालांकि, कई बार ये हड्डियां स्पर्म व्हेल के आंत में फंस जाती हैं। ऐसे में जब मछली का शरीर हिलता-ढुलता है तो इन हड्डियों के आंत में ही टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। फिर ये टुकडे-टुकड़े मिलकर बड़े हो जाते हैं। इन्हें जोड़ने का काम व्हेल मछली के पाचन तंत्र से निकलने वाला पाचक रस करता है। ये पाचक रस एक तरह से गोंद का काम करता है। तब जाकर व्हेल के आंतों में एम्बरग्रीस तैयार होता है।Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
मछली के शरीर से एम्बरग्रीस बाहर कैसे आती है?
इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं होती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि मछली इस एम्बरग्रीस को उल्टी की तरह उगल देती है। कुछ लोग ये भी कहते हैं कि ये एम्बरग्रीस व्हेल के शौच से बाहर आता है।Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
कैसे बनता है परफ्यूम?
जब व्हेल अपने शरीर से इस एम्बरग्रीस को बाहर निकाल देती है, तब इस एम्बरग्रीस से काले रंग का चिपचिपा पदार्थ निकलता है। ये बहुत ही तेज बदबू करता है। हालांकि, समय के साथ-साथ इसमें से निकलने वाला बदबू खत्म हो जाती है और इसका रंग भी बदल जाता है। फिर काले से ग्रे और अंत में पूरा सफेद हो जाता है। जब ये पूरी तरह से सफेद हो जाता है तो इसमें से बदबू की जगह सुगंध आने लगती है। एम्बरग्रीस में एक पदार्थ होता है। जिसे एंब्रीन कहते हैं। इसमें महक नहीं होती है, लेकिन इसे परफ्यूम में मिलाने से उसकी खुशबू ज्यादा देर तक बनी रहती है।Four people were caught who went to sell vomit worth one crore
ये इतनी महंगी क्यों मिलती है?
दरअसल, स्पर्म व्हेल मछली की संख्या तेजी से घट रही है। ऐसे में एम्बरग्रीस भी काफी कम ही मिल पाता है। एम्बरग्रीस जब काला होता है तो उसमें ज्यादा एंब्रीन नहीं मिल पाता है। इसलिए उसके सफेद होने तक का इंतजार करना पड़ता है। ये समुद्र में ही धूप और पानी से सफेद होता है। जितना ज्यादा समय तक ये पानी में रहेगा उतना ही ये बेहतर होगा। यही कारण है कि इसकी कीमत भी अधिक होती हैFour people were caught who went to sell vomit worth one crore
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