Fraud can happen anytime anywhere
सत्यखबर, नई दिल्ली।
हम जितना सोचते नहीं उससे चार क़दम आगे चलते हैं ठग। समय के साथ वे पुराने तरीक़ों को छोड़कर ऐसे ज़रिए तलाशने लगे हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना सामान्य व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता है। जो चीज़ें सामान्य हैं उन्हें फ्रॉड का ज़रिया बनाते हुए आप पर निशाना साधा जा सकता है। वैसे ही ऐसे स्थानों पर भी धोखाधड़ी हो सकती है जहां विश्वास के साथ जाते हैं। कौन-कौन सी धोखाधड़ी हैं जिन्हें लेकर सावधान रहना चाहिए…
अनजान पार्सल…
मान लीजिए आपने ई-कॉमर्स से ऑनलाइन सामान ऑर्डर किया है। उसमें से आपने सामान निकला और डिब्बे को कूड़ेदान में फेंक दिया। उसमें चिपके बिल में आपका नाम, मोबाइल नंबर, पता आदि सब है। ठग उस डिब्बे पर दी गई जानकारी को चुराएगा और एक नया पार्सल तैयार करेगा। आपके घर आकर वो पार्सल देगा जो कि कैश ऑन डिलीवरी पर होगा। डिलीवरी बॉय अपना परिचय प्रसिद्ध कंपनी के नाम पर देगा। जब आप कहेंगे कि यह सामान आपने ऑर्डर नहीं किया है तो वो उसे कैंसल करने के लिए कहेगा। इसके लिए कस्टमर केयर का नंबर भी देगा और बात करके ऑर्डर कैंसल करने के लिए भी कहेगा। कस्टमर केयर आपके नंबर पर ओटीपी जनरेट करेगा। आप जैसे ही कस्टमर केयर को ओटीपी बताएंगे वैसे ही आपका बैंक खाता ख़ाली हो चुका होगा।
अगर ये स्थिति आपके साथ भी बनती है तो डिलीवरी बॉय पर विश्वास न करें। वो जिस कंपनी से ख़ुद का परिचय दे रहा है उसकी वेबसाइट पर दिए कस्टमर केयर के नंबर से उस पार्सल की जानकारी लें, न कि डिलीवरी बॉय द्वारा दिए गए नंबर पर। अगर इस स्थिति में डिलीवरी बॉय भी ओटीपी जनरेट करता है तो कोड उसके साथ बिल्कुल साझा न करें। यह हमेशा देखें कि ओटीपी/कोड कहां से आया है। इसके अलावा जब भी डिब्बा फेंके तो उस पर मौजूद आपकी जानकारी को पहले मिटा दें।Fraud can happen anytime anywhere
बिल की जानकारी…
दुकानदार बिल पर सामान और उसकी क़ीमत डालने से पहले आपका नाम, पता और मोबाइल नंबर डालता है। बस इसी जानकारी का फ़ायदा ठग उठा सकते हैं। इसे उदाहरण से समझते हैं। मिश्रा जी कपड़ों की एक बड़ी दुकान पर गए। वहां शॉपिंग की और बिल साथ में रख लिया। उनसे बिल कहीं गिर गया, छूट गया या व्यर्थ समझकर कहीं फेंक दिया। ठग हमेशा ऐसे मौक़ों पर नज़र गड़ाकर बैठे रहते हैं। ठग ने कुछ दिनों बाद बिल पर लिखे मोबाइल नंबर पर मिश्रा जी को कॉल किया और कहा कि आपने इस दुकान से शॉपिंग की है जिसमें आपको उपहार मिला है। आपको यह उपहार लेने आना है, लेकिन आप आएंगे या नहीं पहले उसकी पुष्टि करनी होगी। मिश्रा जी के हामी भरने पर उस ठग ने मैसेज पर एक लिंक भेजा और उस पर क्लिक करके जानकारी भरने के लिए कहा। मिश्रा जी ने जैसे ही लिंक पर क्लिक किया, उनके बैंक खाते से सारे पैसे ग़ायब हो गए।Fraud can happen anytime anywhere
किसी भी प्रकार का बिल जिसमें नाम के साथ-साथ फोन नंबर या पता लिखा हो, उसे संभालकर रखें। यदि कोई व्यक्ति गिफ्ट खुलने का लालच देता है तो सीधे दुकानदार को फोन लगाएं। कई बार दुकानों या सुपरमार्केट में ठग घूमते रहते हैं। जब आप अपना नंबर बिल पर लिखवाते हैं तो ठग इस जानकारी को चुराकर इसका इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जितना हो सके धीमी आवाज़ में नंबर बताएं।
आंकड़ों का खेल…
जब आप किसी सुपर मार्केट में सामान ख़रीदने जाते हैं तो बिल बनवाते वक़्त कई बार किसी निश्चित क़ीमत का कोई सामान जैसे मसालों के पैकेट मुफ्त में ऑफर किए जाते हैं। आपसे कहा जा सकता है कि आपका बिल हज़ार से ऊपर बन रहा है इसलिए आप ये सामान मुफ्त में घर ले जा सकते हैं। आपने जो सामान ख़रीदा है उसके अतिरिक्त ये मुफ्त पैकेट वैकल्पिक तौर पर दिए जा सकते हैं जिसकी क़ीमत बिल में शून्य होगी। इन मुफ्त पैकेट की क़ीमत बीस-पचास रुपये हो सकती है। जब आप बिल देखेंगे तो इसमें मुफ्त सामान की क़ीमत शून्य होती है। लेकिन जब आप बिल में मौजूद वस्तुओं की क़ीमत जोड़ेंगे तो कुल क़ीमत अधिक होगी। दरअसल मुफ्त सामान का मूल्य बिल में इस तरह से शामिल किया जा सकता है कि उसकी क़ीमत दिखाई न दे।
अगर आपको ख़रीदारी में कोई सामान मुफ्त मिल रहा है और वह आपके काम का नहीं है तो उसे लेने से मना कर दें। अगर आप लेते भी हैं तो वहीं खड़े होकर बिल को जांचें और क़ीमत जोड़ें। यदि फ्री सामान का मूल्य इसमें शामिल है तो वहीं इस बात को साफ़ करें।Fraud can happen anytime anywhere
शॉपिंग कार्ड
मॉल में ख़रीदारी करने के बाद दुकानदार आपको शॉपिंग कार्ड ख़रीदने की सलाह देते हैं। इसे कोई निश्चित राशि देकर बनवाया जाता है ताकि अगली हर ख़रीदारी पर आपको छूट मिल सके। मिसाल के तौर पर, आपने कपड़े ख़रीदे। ख़रीदारी की कुल राशि 2 हज़ार से ऊपर है और कार्ड का मूल्य 5 हज़ार है जिसे लेने पर किसी एक कपड़े का मूल्य शून्य हो जाएगा। ऐसे लोग कार्ड की क़ीमत और वैधता को महीनों और क़ीमतों में किसी भी तरह से उलझाकर ख़रीदार को बता सकते हैं। उनका हिसाब-किताब थोड़ा उलझा हुआ होता है ताकि ग्राहक को समझ न आए और फ़ायदा भी दिखे। सोचने का वक़्त भी नहीं देंगे कि आप समय लेकर उस हिसाब को समझ सकें।
अगर आपको ऑफर रोचक लग रहा है तो वक़्त लें और फ़ायदा-नुक़सान देखें। उन्हें आराम से समझाने के लिए कहें क्योंकि यह ग्राहक का अधिकार है। अगर दुकानदार आपको ठीक-से नहीं समझा रहा या उसका गणित आपको समझ नहीं आ रहा है तो ऐसे ऑफर स्वीकार करने से पहले ज़रूर सोचें।
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