राजपूत समाज की जमीन दिलाने में सरकार रही विफल, चुनाव में भाजपा का विरोध करेंगा समाज: Retd.DIG परमजीत राघव
सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:
हरियाणा सरकार द्वारा राजपूत समाज की जमीन के मामले में कोई पैरवी नहीं किए जाने से समाज में रोष है। हरियाणा सरकार ने विधानसभा के पटल पर इस मामले को रखकर प्रस्ताव पारित किया, इसके बाद भी इस केस की फाइल एक ईंच नहीं सरकी। यह राजपूत समाज का अपमान है। सरकार की उदासीनता से समाज आहत है। इसलिए राजपूत समाज विधानसभा चुनाव में भाजपा का विरोध करेगा।
बीएसएफ से रिटायर्ड डीआईजी परमजीत सिंह राघव ने कहा कि राजपूत समाज ने अपने पैसों से यह जमीन खरीदी था, ताकि गरीब बच्चों की शिक्षा-दीक्षा यहां की जा सके। यहां एक छात्रावास भी बनाया गया। इस जमीन को अधिग्रहण करने के प्रयास जारी हैं। सरकारों की नीयत में खोट रहा है, तभी यह जमीन समाज को रिलीज नहीं की गई। हम सुप्रीमकोर्ट तक जा चुके हैं, लेकिन सरकार जमीन रिलीज करने में टालमटोल करती रही है। इस जमीन के लिए राजपूत समाज बलिदान दे देगा, मगर जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देगा।
प्रवासी राजपूत सभा का हरियाणा संयोजक कुंवर संजय सिंह बष्ट ने कहा कि इसी जगह पर सीएम मनोहर लाल ने सब कुछ देखा था। उन्होंने समाज को आश्वासन दिया था कि वह जमीन जल्द ही रिलीज कराएंगे, मगर ऐसा नहीं किया गया। मंत्री संजय सिंह के मार्गदर्शन में प्रतिनिधिमंडल मनोहर लाल से मिला। उन्होंने हमारी बात पर गौर नहीं किया। हमने कहा कि गरीब बच्चों के महाराणा प्रताप के स्कूल को क्या बंद करवाना चाहते हो। उन्होंने जल्द ही रिलीज कराने की बात दोहराई। विधानसभा में भी यह बात उठी। सीएम मनोहर लाल ने विधानसभा में भी जमीन रिलीज करने की बात कही। केंद्रीय मंत्री राजनाथ, जनरल वीके सिंह से मिले। सभी ने आश्वासन दिया कि जमीन समाज को मिलेगी। राजपूत महासभा के पूर्व अध्यक्ष बीर सिंह तंवर ने कहा कि महाराणा प्रताप जयंती पर राज सिंह ने कहा था कि वे सरकार आने पर इस जमीन को रिलीज कराने की बात कहकर गए थे। इस जमीन पर पुराने समय का स्कूल है।
मंथन जन सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष आरपी सिंह चौहान ने कहा कि जितने भी नेता यहां आश्वासन देकर गए हैं, कुछ नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे राव नरबीर सिंह ने इसी जमीन से कहा था कि जीतने के बाद पहला काम इस जमीन को रिलीज कराने का काम करूंगा। हम अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। नेताओं ने राजपूत समाज को यूज किया है। हमारे समाज को टिकटों में भी पीछे रखाा गया। राजपूत समाज इस चुनाव में बीजेपी का बहिष्कार करेगा। राजपूत समाज देने की इच्छा रखता है, मगर यह जमीन हमारी खरीदी हुई है। इसे नहीं छोड़ सकते।
फिल्म अभिनेता राज चौहान ने कहा कि मैं 1988 में यहां पढऩे आता था। हमारे बुजुर्गों ने 1905 में यह जमीन खरीदी थी। इस जमीन को राजपूत समाज को रिलीज करने के लिए सरकारों ने कोई कदम ही नहीं बढ़ाया। राजपूत समाज की उपेक्षा की जा रही है। राजपूत समाज देश से हटा दिया जाए तो वजूद नहीं बचेगा। हम इस बार हरियाणा में बीजेपी को झटका देेंगे। हम अब अनुरोध नहीं करेंगे। यह जमीन हमारा हक है। राजपूत समाज को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।
राजपूत महासभा के पूर्व अध्यक्ष बीर सिंह तंवर ने बताया कि फरवरी 2024 में सरकार की ओर से कहा गया था कि राजपूत महासभा की सन 1984 में तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा जो जमीन अधिग्रहित की गई थी, उस जमीन को वापस महासभा को दिलाने के लिए भाजपा सरकार पैरवी करेगी। यह निर्णय हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में लिया गया। बजट सत्र को 6 महीने बीत चुके हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बदलकर नायब सिंह सैनी को नये मुख्यमंत्री बना दिया गया है, लेकिन राजपूत महासभा की वह फाइल एक ईंच भी नहीं सरकी। इसका राजपूत समाज में भारी रोष है।
वर्ष 1903 में राजपूत सैनिकों व राजपूत सरदारों ने खरीदी थी जमीन
गुरुग्राम राजपूत महासभा की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के अनुसार राजपूत महासभा गुरुग्राम ने बच्चों को शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने व अन्य सामाजिक कार्यों के उपयोग के लिए वर्ष 1903 में गुरुग्राम में वर्तमान में ओल्ड दिल्ली रोड पर उस समय के राजपूत सैनिकों व राजपूत सरदारों ने धन इकट्ठा करके 6 बीघा 12 बिस्वा (साढ़े चार एकड़) जमीन खरीदी थी। उस समय गुडग़ांव जिला में फरीदाबाद, मेवात व रेवाड़ी जिला भी शामिल थे। उस एक मात्र उच्च स्तर का विद्यालय गुरुग्राम में ही था। बच्चों के रहने, ठहरने के लिए राजपूत महासभा ने इस जमीन पर बोर्डिंग हाउस की सुविधा वर्ष 1918 में उपलब्ध करा दी थी। महासभा ने वर्ष 1981 में ही पंजीकरण करा लिया था। इस जमीन पर महाराणा मैमोरियल स्कूल का संचालन किया जा रहा है। सरकार ने राजनीतिक द्वेष के कारण 9 मई 1988 को उस जमीन पर सेक्शन-4 लगाया गया, जो कि सेक्टर-13 में लेजर सिटी बनाकर उसमें व्यावसायिक गतिविधि बताई गई।
इसके बाद राजपूत समाज द्वारा सेक्शन-ए का ऐतराज लगाया गया। हाईकोर्ट में इस बाबत केस दायर किया गया। जिसका 20 मई 2014 को हाईकोर्ट ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए महासभा के पक्ष में निर्णय दिया। 17 माह बाद सरकार ने 26 अक्टूबर 2015 को सुप्रीमकोर्ट में केस दायर किया गया। जिस पर 10 अक्टूबर 2023 को महासभा के खिलाफ निर्णय दिया। कोर्ट में एसएलसी दायर करने के बाद 2 जनवरी 2024 को स्टेट्स क्यू कर दिया। फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा में घोषणा की कि इस अधिग्रहित जमीन को छोडऩे के लिए सरकार न्यायालय में पैरवी करेगी। विधानसभा के पटल पर इस मामले को रखे जाने के बाद भी सरकार ने कुछ नहीं किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बदलकर भाजपा ने नायब सिंह सैनी को बागडोर सौंपी। उन्होंने भी इस विषय पर कुछ नहीं किया।