सत्य खबर, चण्डीगढ़
सरकार ने डीजल के उपयोग को ख़त्म (Diesel Usage) करने के लिए एक अहम कदम उठाया है. भारत 2024 तक खेतों में डीजल के उपयोग को शून्य करने और कृषि क्षेत्र को नवीकरणीय ऊर्जा में बदलने की उम्मीद कर रहा है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह (Power Minister RK Singh) ने कहा है कि भारत में अगले दो सालों में कृषि में डीजल का इस्तेमाल लगभग समाप्त हो जाएगा. खेती में डीजल के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) के साथ जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) का इस्तेमाल होगा.
ऊर्जा मंत्रालय और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ऊर्जा मंत्री ने ऊर्जा दक्षता उपायों की बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एक नए और आधुनिक भारत के लिए काम कर रही है, जो आधुनिक बिजली सिस्टम के बिना नहीं हो सकता है. और आधुनिक भारत के लिए वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक भवनों को ईसीबीएस (ECBS) का पालन करना चाहिए और घरेलू भवनों को ईको निवास (ECO NIVAS) का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऊर्जा भंडारण की मदद से बिजली की सभी मांग को गैर-जीवाश्म ईंधन (non-fossil fuel) विधियों से पूरा किया जाएगा.
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बिजली मंत्रालय ने किसानों को डीजल से चलने वाले सिंचाई पंपों के स्थान सौर ऊर्जा का चलने वाले सिंचाई पंपों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. सरकार द्वारा अब कई सोलर पंप योजनाएं (Solar Pump Schemes) चलाई जा रही है. इन योजनाओं के तहत किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों के लिए आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाती है. राज्य सरकारों ने भी सोलर सिंचाई पंप (Solar Irrigation Pump) को स्थापित करने के लिए सब्सिडी (Subsidy) देना शुरू किया है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के कुल ईंधन खपत का लगभग 2/5 हिस्सा डीजल का है. भारत का कृषि सेक्टर ईंधन खासकर डीजल के सबसे बड़े यूजर्स में से एक है. ऐसे में सौर ऊर्जा को इस्तेमाल करने का यह कदम सबसे कारगर साबित हो सकता है. इससे डीजल की खपत कम तो होगी और किसानों का खर्चा भी बच सकेगा.
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