सत्यखबर
नई निजता नीति को रद करने की मांग को लेकर एक अधिवक्ता ने दी है चुनौती जागरण संवाददाता, नई दिल्लीदिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे वाट्सऐप की नई निजता नीति के मामले में न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर किसी को नीति स्वीकार नहीं है तो वह दूसरा ऐप इस्तेमाल कर सकता है। पीठ ने कहा कई ऐसे ऐप है जो अपने ग्राहकों की जानकारी रखते हैं। सभी निजी ऐप हैं और ग्राहक चाहे तो उस का सदस्य बन सकता है या उसे छोड़ सकता है। यह ग्राहक की इच्छा पर निर्भर करता है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता का वास्तविक मांग को समझे बगैर सुनवाई नहीं करेंगे। याचिका पर अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।
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पीठ ने याची अधिवक्ता चैतन्य रोहिल्ला से पूछा कि आखिर आप चाहते क्या हैं। इसके जवाब में अधिवक्ता ने कहा कि वाट्सएप हमारे बारे में जानकारी इकट्ठा करता करता है और इसे वैश्विक स्तर पर साझा करता है। पीठ ने याची से पूछा कि क्या आपने दूसरे एप की शर्तों के बारे में पढ़ा है। आप पहले उसको पढ़ें और बताएं कि आप की मुश्किलें क्या है। उन्होंने कहा कि आप दूसरे ऐप के शर्तों को पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह क्या-क्या शर्तें मनवाते हैं। पहले आप उन सब बारे में पूरी तरह से वाकिफ हो लें। पीठ ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भी जानकारी लेनी होगी।
मंत्रालय की तरफ से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि इस पर मंत्रालय विश्लेषण कर रहा है। फेसबुक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है इसे निरस्त कर दिया जाए। वहीं, वाट्सएप की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह ऐप पूरी तरह सुरक्षित है। ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं की जाती है जिससे ग्राहकों की निजता का हनन हो। पीठ ने कहा कि अदालत पहले पूरे मामले को समझेगी इसके बाद ही वाट्सएप को नोटिस जारी करेंगे। अधिवक्ता चैतन्या रोहिल्ला ने चुनौती याचिका दायर कर नई नीति को न सिर्फ करोड़ों लोगों की निजता के अधिकार का हनन बताया गया है बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी कहा है। वाट्सएप ने चार जनवरी को नई निजता नीति को घोषित किया है और इसके तहत सभी यूजर्स को इसे आठ फरवरी तक स्वीकार करना है।
सिग्नल इंक का आइपी एड्रेस ब्लॉक करने के खिलाफ याचिका मोबाइल पर सेवा उपलब्ध कराने वाली अमेरिका की एक सिग्नल इंक एप ने बगैर सुनवाई का मौका दिए उसके आइपी एड्रेस को ब्लॉक करने को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। न्यामयूर्ति प्रतिबा एम सfxह की पीठ ने मामले की तब सुनवाई 11 फरवरी के लिए स्थगित कर दी, जब केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि केंद्र से निर्देश लेने के बाद वे मामले में जवाब देंगे। अधिवक्ता विजय पाल डालमिया के माध्यम से दायर याचिका के अनुसार आइपी एड्रेस ब्लॉक करने के कारण न सिर्फ कंपनी को नुकसान हो रहा है, बल्कि इसके कर्मचारियों की आजीविका पर भी इसका असर पड़ रहा है। याचिका के अनुसार जुलाई 2020 में कंपनी को जानकारी मिली कि उसका आइपी एड्रेस एयरटेल, टाटा समेत विभिन्न इंटरनेट सेवा प्रदाताओं द्वारा ब्लाक कर दिया गया है। कंपनी ने मांग की कि उसके आइपी एड्रेस को एस्सेस करने की अनुमति दी जाए।
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