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Supreme Court में आज तिरुपति लड्डू मिलावट मामले की सुनवाई

तिरुपति लड्डू, जो कि भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर तिरुमाला में प्रसाद के रूप में दिया जाता है, भारतीयों की आस्था का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। हाल ही में तिरुपति लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाने के आरोप ने देशभर में हलचल मचा दी। यह मामला Supreme Court तक पहुंच गया, जिसमें याचिकाकर्ता ने लड्डू में मिलावट की जांच के लिए अदालत द्वारा निगरानी में जांच की मांग की है। इस याचिका को लेकर Supreme Court ने शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की है।

मामले की पृष्ठभूमि

तिरुपति लड्डू को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है। इस लड्डू की पवित्रता और शुद्धता भक्तों के विश्वास का प्रतीक है, लेकिन हाल ही में कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि इसमें जानवरों की चर्बी मिलाई गई है। इस गंभीर आरोप ने लोगों के बीच गुस्सा और अविश्वास पैदा कर दिया। मामले को Supreme Court में याचिका के रूप में दाखिल किया गया, जिसमें आरोप की जांच के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह मुद्दा न केवल धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दा भी है।

Supreme Court में याचिका की सुनवाई

Supreme Court के न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए रखा है। इसके पहले, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से आग्रह किया था कि इस मामले की सुनवाई गुरुवार को ही की जाए, लेकिन अदालत ने शुक्रवार सुबह पहली सुनवाई करने का निर्णय लिया।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल

30 सितंबर को Supreme Court ने तुषार मेहता से कहा था कि वे यह सुनिश्चित करें कि तिरुपति लड्डू मामले की जांच राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) द्वारा की जानी चाहिए या इसे किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जाना चाहिए। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने यह भी कहा था कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।

Supreme Court में आज तिरुपति लड्डू मिलावट मामले की सुनवाई

अदालत ने मामले की जांच के लिए प्रस्तुत लैबोरेटरी रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए थे, जिसमें कहा गया था कि जो घी परीक्षण के लिए भेजा गया था, वह शायद पहले से ही अस्वीकृत था। इस वजह से रिपोर्ट पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है और इससे सही निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल हो गया है।

मिलावट के आरोपों का प्रभाव

तिरुपति लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाने के आरोप से केवल धार्मिक भावनाएं ही आहत नहीं हुईं, बल्कि इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का मुद्दा बना दिया है। तिरुपति लड्डू को भारत के बाहर भी काफी श्रद्धा और आस्था के साथ देखा जाता है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों पर असर डालेगा, बल्कि तिरुपति देवस्थानम की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े होंगे।

अदालत द्वारा निगरानी में जांच की मांग

याचिकाकर्ताओं ने Supreme Court से अनुरोध किया है कि इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में की जाए ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे। उनका कहना है कि राज्य सरकार की SIT द्वारा की गई जांच में संदिग्धता हो सकती है, क्योंकि यह मामला व्यापक रूप से राजनीतिक और धार्मिक जुड़ावों से जुड़ा है। इस कारण एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच एजेंसी द्वारा मामले की जांच कराई जानी चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

आगे की कार्यवाही

अब सभी की नजरें शुक्रवार की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां Supreme Court यह तय करेगा कि इस मामले की जांच किस एजेंसी से कराई जाएगी। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अधिकारियों ने पहले ही इन आरोपों को निराधार बताया है, लेकिन अब जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है।

इस बीच, श्रद्धालु और भक्त इस मुद्दे पर गहरी नजर बनाए हुए हैं और चाहते हैं कि न्यायपालिका इस मामले में त्वरित और सटीक निर्णय ले। तिरुपति लड्डू के प्रति आस्था और विश्वास को बहाल करने के लिए जरूरी है कि इस मामले की निष्पक्ष और सही जांच हो, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या वास्तव में प्रसाद में मिलावट की गई थी या यह केवल एक अफवाह थी।

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