सत्य खबर । चंडीगढ़
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति में रह रहे करीबी रिश्तेदार को उन्हें गुजारा भत्ता देना ही होगा। हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि एक संतानहीन, 64 वर्षीय 100 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति के स्थान पर रह रहे उसके करीबी रिश्तेदार को गुजारा भत्ता देने का आदेश किसी भी प्रकार से गलत नहीं हो सकता है।
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दरअसल, अंबाला के डीसी ने हरीश कुमार को अपने चाचा नरेंद्र नाथ को आठ हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ हरीश कुमार हाईकोर्ट पहुंचे।
हरीश ने दलील दी कि नरेंद्र नाथ के और भी रिश्तेदार हैं जो बेहद अच्छी कमाई करते हैं, फिर गुजारा भत्ता का आदेश सिर्फ उसके लिए क्यों। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि नरेंद्र नाथ के पिता ने जो दुकान शुरू की थी, उसी में उसे घुसने से रोका जा रहा है। ऐसे में नरेंद्र नाथ के पास आय का कोई स्त्रोत नहीं है।
इसके साथ ही नरेंद्र नाथ की मां के नाम जो घर था, उसे भी याची के पिता द्वारा धोखे से अपने नाम करवाने का भी आरोप है। ऐसे में न तो दुकान और न ही मकान पर उसे कोई हक दिया जा रहा है। मकान का मामला अदालत में लंबित है। ऐसे में नरेंद्र नाथ के पास आय का कोई साधन नहीं है। एक संतानहीन, 64 वर्षीय 100 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति के स्थान पर रह रहे उसके करीबी रिश्तेदार को गुजारा भत्ता देने का आदेश किसी भी प्रकार से गलत नहीं हो सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि या तो गुजारा भत्ते की राशि का भुगतान किया जाए या फिर नरेंद्र नाथ को दुकान का आधा हिस्सा दिया जाए।
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