सत्य खबर । चंडीगढ़
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने वाले किसानों को रिहा करने के लिए 50-50 हजार रुपये मांगे जाने पर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय ने पूछा है कि किसानों को छोड़ने के लिए गंभीर अपराध के आरोपियों की तरह बड़ी राशि क्यों मांगी जा रही है और अब तक कितने किसानों को छोड़ा गया है।
हरियाणा सरकार को 1 दिसंबर को इस बारे में जानकारी देनी होगी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता ने जिन 34 किसानों को हिरासत में लेने की बात कही है उसमें से सिर्फ 24 को हिरासत में लिया गया था। इनमे से कई को छोड़ा जा चुका है। कितने किसानों को छोड़ा गया है उसकी जानकारी देने के लिए हरियाणा सरकार ने उच्च न्यायालय से कुछ समय मांगा। इस पर याचिकाकर्ता संस्था हरियाणा प्रोग्रेसिव फारमर्स यूनियन के वकील प्रदीप रापड़िया ने उच्च न्यायालय को बताया कि किसानों को 50 हजार की जमानत राशि पर छोड़ा जा रहा है जो काफी ज्यादा है।
शुक्रवार को भी कुछ किसानों को हिरासत में लिया है। कितने किसान छोड़े गए हैं इसकी भी जानकारी नहीं दी जा रही है। किसान यूनियन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बताया था कि 26-27 नवंबर को दिल्ली में प्रस्तावित प्रदर्शन के लिए किसानों के कूच को रोकने के लिए हरियाणा सरकार सोमवार रात से ही किसान नेताओं की धरपकड़ कर रही है। बिना किसी आपराधिक घटना में संलिप्त किसानों के घरों पर छापे मारे और 100 से अधिक नेताओं की बिना कोई कारण बताए गिरफ्तारियां की गईं,जो कि पूरी तरह से असांविधानिक है।
आईजी आरके आर्य ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा कि खुफिया रिपोर्ट के आधार पर शांति व्यवस्था बनाए रखने और किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए किसानों को हिरासत में लिया गया है। इससे पहले भी किसानों के कई आंदोलनों में हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। किसान संगठनों का इतिहास आपराधिक रहा है। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को हलफनामे में सही साबित करने का प्रयास किया गया।
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