सत्य खबर, जम्मू। Jammu and Kashmir assembly elections cleared
केंद्र शासित प्रदेश बनने की वजह से जम्मू-कश्मीर में दोबारा से परिसीमन करवाया गया था, ताकि विधानसभा चुनाव करवाएं जा सकें। हालांकि बहुत से लोगों ने नए परिसीमन पर आपत्ति जताई और वो इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट लेकर गए। जिस पर अब कोर्ट का फैसला आ गया है। सर्वोच्च अदालत ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन की कवायद को बरकरार रखा। साथ ही विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग के गठन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
दरअसल हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि परिसीमन आयोग द्वारा जुलाई 2004 में जारी एक पत्र के मुताबिक जनगणना तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदा विधानसभा सीटों की संख्या में बदलाव नहीं किया जा सकता है। ऐसे में ये परिसीमन 2026 के बाद हो। उन्होंने ये भी तर्क दिया कि असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में पिछले 51 वर्षों से परिसीमन नहीं हुआ है।
उन्होंने कोर्ट में ये भी तर्क दिया कि 2019 के जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत सिर्फ चुनाव आयोग ही परिसीमन करने के लिए अधिकृत है, ना कि परिसीमन आयोग की तरह को अस्थायी निकाय। ऐसे में परिसीमन पर रोक लगाई जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी। साथ ही परिसीमन आयोग के गठन को बरकरार रखा।
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पूर्व जज की अध्यक्षता में बना था आयोग आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल वहां पर चुनाव की मांग कर रहे हैं। जिस पर केंद्र ने कई बार साफ किया कि परिसीमन होने के बाद सभी दलों के साथ विचार-विमर्श होगा। उसके बाद चुनाव करवा दिए जाएंगे। 6 मार्च 2020 को केंद्र सरकार ने परिसीमन अधिनियम 2002 की धारा 3 के तहत अधिसूचना जारी की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। Jammu and Kashmir assembly elections cleared
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