Joseph Stalin journey as a revolutionary leader
सत्य खबर ,नई दिल्ली । एडॉल्फ हिटलर, चंगेज खान, सद्दाम हुसैन जैसे तानाशाहों की फेहरिस्त में एक ऐसा नाम भी शामिल हुआ जिसे सनकी और क्रूर कहा गया. वो नाम था जोसेफ स्टालिन. सोवियत संघ के इस सनकी के सफर की शुरुआत एक इंकलाबी नेता के तौर पर हुई. लेकिन उसने ताकत का नशा ऐसा चढ़ा हर विरोधी को सजा-ए-मौत देने का आदेश देने लगा. जब उसकी मौत हुई तो लोगों ने जश्न मनाया.
18 दिसम्बर, 1879 को बेहद गरीब परिवार में जोसेफ स्टालिन का जन्म हुआ. पिता जूते सिलते थे और मां घर-घर जाकर कपड़े धोने का काम करती थीं.Joseph Stalin journey as a revolutionary leader
यूं तानाशाही की ओर बढ़े कदम
बेहद गरीबी और मुश्किल हालातों में पले-बढ़े स्टालिन को उनकी मां पादरी बनाना चाहती थीं. 1995 में पादरी की पढ़ाई के लिए मां ने जॉर्जिया की राजधानी तिब्लिस भेजा. मार्क्स की किताबें पढ़ने वाले स्टालिन का मन वहां नहीं लगा और वो एक समाजवादी संगठन में शामिल हो गया. नियमों को न मानने और हर बात में मनमानी के कारण उसे 1899 में धाार्मिक स्कूल से बाहर कर दिया गया.
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स्टालिन ने तिब्लिस के मौसम विभाग में नौकरी करना शुरू दिया और रूसी साम्राज्य के खिलाफ बगावती तेवर बुलंद किए. लगातार विरोध प्रदर्शनों में बढ़कर हिस्सा लिया. बगावती तेवर के कारण स्टालिन जॉर्जिया की पुलिस की नजर में चढ़ गए. गिरफ्तारी से बचने के लिए कुछ समय तक अंडरग्राउंड हुए. कुछ समय बाद बोल्शेविक पार्टी ज्वॉइन की सदस्यता ली.
लेनिन की मौत के बाद स्टालिन बना वारिस
स्टालिन ने पहली बार 1905 में गुरिल्ला युद्ध में हिस्सा लिया. 1906 में शादी हुई पर एक साल बाद ही पत्नी की मौत हो गई. 1907 में पूरी तरह से रूस क्रांति में शामिल होने के लिए खुलकर मैदान में उतरे. 10 साल के संघर्ष के बाद 1917 में कम्युनिस्ट क्रांति को सफलता मिली और लेनिस के शासन की शुरुआत हुई. रूसी क्रांति में स्टालिन ने अहम भूमिका निभाई, इसलिए उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव बनाया गया. समय के साथ पार्टी में कद बढ़ता गया. 1924 में जब लेनिन की मौत हुई तो स्टालिन को उनका वारिस घोषित किया गया. यह वो दौर था जब स्टालिन के आतंक की शुरुआत हुई.
स्टालिन को विरोध करने वाले लोग कतई बर्दाश्त नहीं थे. हर वो इंसान जिसने उसका विरोध किया उसे मरवा डाला. विरोध के कारण स्टालिन ने अपनी पार्टी में सेंट्रल कमेटी के 93 सदस्य, सेना के 103 जनरल और 81 एडमिरल को मरवा दिया था.
बेटी को बाल पकड़कर खींचते हुए लाए
1952 को अपने जन्मदिन पर स्टालिन ने एक पार्टी दी. पार्टी के ग्रामोफोन पर बजने वाले संगीत का चयन तक स्टालिन ने खुद किया. उस पार्टी में दो लोग ऐसे भी थे जिसे वो संगीत बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था. उसने से एक थे निकिता ख्रुश्चेव जिन्हें डांस से नफरत थी. उन्हें छेड़ने के लिए स्टालिन ने जानबूझ कर डांस करने को कहा. दूसरा नाम था स्टालिन की बेटी स्वेतलाना अलिलुएवा का. उस समय 26 वर्षीय स्वेतलाना का दो बार डिवॉर्स हो चुका था. कुछ मायनों में वो पिता के नक्शे कदमों पर चल रही थीं. उसे यह बिल्कुल पसंद नहीं था कि कोई उसे हुक्म दे.Joseph Stalin journey as a revolutionary leader
पार्टी के दौरान स्टालिन ने बेटी स्वेतलाना से डांस करने की इच्छा जताई, लेकिन उसने मना कर दिया. स्टालिन इसे बर्दाश्त नहीं कर सके और बेटी के बालों को खींचते हुए आगे लाए. अपमान के कारण मेहमानों के सामने स्वेतलाना का चेहरा लाल पड़ गया. आंखों से आंसू निकल आए.
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