चुनाव आचार संहिता के दौरान राजनीतिक दल क्या कर सकते हैं क्या नहीं जानिए इस खबर में
सत्य खबर ,नई दिल्ली ।
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज यानी शनिवार को किया जाएगा. इसको साथ ही राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों की भी घोषणा होगी. जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उसमें ओडिशा, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल है. तारीखों की घोषणा के बाद ही देश भर में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता लागू हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं यह आचार संहिता क्या होती है, इसे कौन लागू करता है, लागू हो जाने के बाद किन कामों को करने पर पाबंदी होती है और क्या क्या करने की इजाजत होती है.
आचार संहिता क्या है?
चुनाव आयोग ने देश में स्वतंत्रत और निष्पक्ष चुनाव करने के लिए कुछ नियम बनाए है. इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते है. लोकसभा या विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना राजनीतिक दलों के लिए जरूरी होता है. आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है. इलेक्शन कमिशन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत शांतिपूर्ण चुनाव के लिए राजनीतिक दलों को आचार संहिता का पालन करने के लिए बाध्या कर सकता है.
आचार संहिता की शुरूआत सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी. इलेक्शन कमिशन ने 1962 को लोकसभा चुनाव में पहली बार इसके बारे में राजनीतिक दलों को इन नियमों के बारे में बताया था. 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से आचार संहिता की व्यवस्था लागू हो गई थी. राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं, चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करना होता है. चुनाव पूरा होने के बाद आचार संहिता हटा लिया जाता है.