सत्य खबर, नई दिल्ली ।
Major Shaitan Singh was a mighty man
चीन के दो हजार सैनिक, भारी गोला बारूद और यहां बस 120 जवान जो मां भारती की अस्मिता की रक्षा के लिए सीना ताने खड़े थे, दोनों तरफ से ताबड़तोड़ गोलियां चल रही थीं. मेजर शैतान सिंह दुश्मन की गोली का जवाब तो दे ही रहे थे, जवानों का हौसला भी बढ़ाने में जुटे थे. इसी बीच एक गोली उनके हाथ में आ लगी. साथियों ने पीछे हटने को कहा, मगर मेजर को ये कतई मंजूर नहीं था.
मेजर के हाथ घायल हुए थे, जज्बा बरकरार था. उन्होंने मशीन गन के ट्रिगर को रस्सी के सहारे पैर से बांधा और चीन के सैनिकों पर तब तक गोली चलाते रहे. जब तक शरीर में जान रही. मेजर शैतान सिंह की अदम्य वीरता के लिए देश ने उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा. लेफ्टिनेंट डिंपल भाटी इन्हीं पराक्रमी परमवीर मेजर की पोती हैं. जो अपने बाबा के ‘कर्तव्यपथ’ पर चलकर गणतंत्र दिवस की परेड में तिरंगे को सलामी देंगी.
पराक्रमी थे मेजर शैतान सिंह
60 साल पहले का वो दिन, तारीख 18 नवंबर थी और सन् 1962, भारत और चीन में तनाव जबरदस्त था, कुछ इलाकों में लड़ाई शुरू हो चुकी थी. पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में भी कुछ हलचल हो रही थी. ये वो दौर था जब भारतीय सेना के पास न तो पर्याप्त गोला-बारूद था और न ही गोलियां. रेजांग ला के पास चुशूल सेक्टर में तैनात 13 कुमाऊं रेजीमेंट की सी कंपनी में 120 जवान ही तैनात थे.
अचानक सुबह चार बजे चीनी सेना के सैकड़ों जवानों ने बंकर पर हमला कर दिया. कंपनी को लीड कर रहे मेजर शैतान सिंह, उस हमले के लिए पहले से तैयार थे. मेजर ने जवानों को हिदायत दे रखी थी कि एक भी गोली बर्बाद न जाए. सर्द हवाओं के बीच चीनी सेना के इस हमले का देश के जांबाजों ने बहादुरी से मुकाबला किया और चीनी सेना को खदेड़ तो दिया, लेकिन आधे से ज्यादा गोला बारूद खत्म हो चुका था.
… जब मेजर ने लिया लड़ने का फैसला
मेजर शैतान सिंह जानते थे कि ये जश्न का मौका नहीं, उन्हें आने वाले खतरे का आभास था, मेजर ने वायरलेस पर सीनियर अधिकारियों से बात की, गोला बारूद खत्म होने की जानकारी दी. कमांड ने पीछे हटने को कहा, मगर अंतिम फैसला मेजर को ही लेना था. मेजर ने लड़ने का फैसला किया तो कंपनी ने भारत माता की जय उद्घोष के साथ उनके साथ रहने का ऐलान कर दिया. इसी बीच चीन ने तोप, मोर्टार और गोलियों से फिर हमले शुरू कर दिए, मेजर शैतान सिंह मुकाबला करते रहे और बाद में अपनी कंपनी के साथ शहीद हो गए. देश ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. रेजांग ला पर हुए युद्ध में चीनी सेना के तकरीबन 1300 सैनिक मारे गए थे.
परमवीर मेजर की बहादुर पोतियां
देश के लिए अपने प्राण कुर्बान करने वाले मेजर शैतान सिंह के बेटे बीएस भाटी बड़े होकर एक बैंककर्मी बने. उनकी पत्नी हाउवाइफ हैं. वह परिवार के साथ जोधपुर में रहते हैं. उनकी दोनों बेटियों ने देश सेवा को ही चुना. शैतान सिंह की दोनों पोतियां भारतीय सेना की सेवा में हैं. गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने वाली छोटी पोती डिंपल भाटी हैं जो पिछले साल ही सेना में कमीशन हुईं हैं. वर्तमान में डिंपल सिग्नल कोर में लेफ्टिनेंट हैं और उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हैं. वहीं डिंपल की बड़ी बहन दिव्या पहले ही कैप्टन हैं.
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बचपन से सेना में जाना चाहती थीं दोनों बहनें
मेजर शैतान सिंह की पोतियों को देश प्रेम का जज्बा खून में मिला. यही कारण है कि बचपन से ही दोनों बहने सेना में ही जाने के सपने देखा करती थीं. डिंपल की बात करें तो उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया और इसके बाद एसएसबी के लिए ट्राई किया. चेन्नई स्थित आफिसर ट्रेनिंग अकादमी में अपनी ट्रेनिंग सिल्वर मेडल के साथ पूरी की और पहली तैनात कुपवाड़ा में मिली. पिता बीएस भाटी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि दोनों बेटियों के सेना में जाने की बात लोग कई तरह की बातें करते थे, लेकिन मेरी बेटियों ने पिता की देश प्रेम भावना को आगे बढ़ाने की ठानी ओर सफल भी हुईं.
कर्तव्यपथ पर स्टंट दिखाएंगी डिंपल
गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्यपथ पर निकलने वाली परेड में डिंपल डेयरडेविल्स कोर ऑफ सिग्नल के साथ रॉयल इनफील्ड बुलेट पर स्टंट करेंगी. डिंपल ने बताया कि कई साल से डेयरडेविल्स टीम यह करती आ रही है. टीम में दो अधिकारी, दो जेसीओ और अन्य रैंक हैं. डेयरडेविल्स टीम अलग-अलग बाइक पर आएगी और हैरतअंगेज करतब दिखाएगी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और तिरंगे को सलामी देगी.
एक साल से कर रहीं ट्रेनिंग
डिंपल ने बताया कि मैं एक साल से जबलपुर में टीम के साथ ट्रेनिंग कर रही हूं. गणतंत्र दिवस परेड के लिए मेरा चयन होने पर घरवाले बेहद खुश हैं, बचपन से ही मेरा ख्वाब था कि मैं राजपथ पर चलूं मेरा वो ख्वाब गणतंत्र दिवस पर पूरा होने जा रहा है. डिंपल ने बताया कि कोर ऑफ सिग्नल में तैनाती के दौरान मुझे पता चला कि बटालियन की बाइक टीम भी है, मैंने अप्लाई किया और मुझे मौका मिल गया. ये सपने के सच होने जैसा है. Major Shaitan Singh was a mighty man
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