Manmohan Singh ने नायडू की सुरक्षा फिर से बहाल की थी, आंध्र प्रदेश मंत्री ने याद किया वो वाकया
पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh को दिल्ली के निगमबोध घाट पर राज्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। पूरे देश में उनके निधन पर शोक का माहौल है। इसी बीच, आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी एक पुरानी घटना को याद किया। लोकेश ने बताया कि कैसे 2004 में माओवादी हमले के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की सुरक्षा फिर से बहाल की थी, जबकि उस समय आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उनकी सुरक्षा घटा दी थी।
2004 का वह मुश्किल दौर
नारा लोकेश ने अपनी पोस्ट में लिखा, “वर्ष 2004 हमारे लिए विशेष रूप से कठिन समय था। हमारे नेता चंद्रबाबू नायडू को तिरुपति के पास माओवादी हमले का सामना करना पड़ा था, और हमारे पार्टी @jaiTDP ने 2004 के चुनावों में हार का सामना किया था।” लोकेश ने बताया कि उस समय कांग्रेस पार्टी, जिसके नेतृत्व में येस रजशेखर रेड्डी थे, ने आंध्र प्रदेश के चुनावों में जीत हासिल की और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) को सत्ता से हटा दिया था।
सुरक्षा घटाने का कदम और खतरे का बढ़ना
लोकेश ने बताया कि चुनाव के बाद, राज्य सरकार ने चंद्रबाबू नायडू की सुरक्षा में कमी करने का फैसला लिया था। यह कदम इस समय लिया गया जब नायडू की जान को खतरा था, क्योंकि माओवादी हमलों का खतरा बढ़ गया था। लोकेश का कहना था कि इस कदम के कारण चंद्रबाबू नायडू को जनता से मिलने और उनके मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने में दिक्कतें आ सकती थीं।
प्रधानमंत्री से मुलाकात और सुरक्षा बहाली की गुहार
लोकेश ने आगे बताया कि इस मुश्किल समय में एन. चंद्रबाबू नायडू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की और व्यक्तिगत रूप से उनसे अपनी सुरक्षा बहाल करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह दलील दी कि उनकी जान को खतरा है और सुरक्षा एजेंसियों ने भी बढ़े हुए खतरे का आकलन किया था। लोकेश ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल उनकी बात मानी, बल्कि यह भी कहा कि चंद्रबाबू नायडू देश के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसलिए उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।\
As India mourns the passing of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh, I am reminded of his large-heartedness and graciousness towards our family.
The year 2004 was a particularly difficult time for us. Our leader Mr. Chandrababu Naidu had recently recovered from an attempt on… pic.twitter.com/1v44f8buNl
— Lokesh Nara (@naralokesh) December 28, 2024
राज्य सरकार के खिलाफ जाकर डॉ. मनमोहन सिंह ने लिया बड़ा कदम
नारा लोकेश ने कहा, “हम विपक्षी पार्टी से थे, फिर भी डॉ. मनमोहन सिंह ने तुरंत यह निर्णय लिया कि चंद्रबाबू नायडू देश के लिए महत्वपूर्ण हैं और राज्य सरकार की इच्छाओं के खिलाफ जाकर उन्होंने उनकी पूरी सुरक्षा बहाल करने का आदेश दिया।” यह कदम उस समय राज्य सरकार के खिलाफ था, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी दूरदृष्टि और सियासी समझ का परिचय देते हुए इसे सही ठहराया।
मनमोहन सिंह का राजनीतिक दृष्टिकोण
लोकेश ने डॉ. मनमोहन सिंह की सियासी समझ की सराहना करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह एक अच्छे राजनेता थे। उनके परिवार के रूप में हम उनके बड़े दिल के लिए हमेशा आभारी रहेंगे।” उन्होंने कहा कि वह हमेशा डॉ. मनमोहन सिंह की यादों को सम्मान देंगे और उनके योगदान को कभी नहीं भूलेंगे।
डॉ. मनमोहन सिंह की मदद का व्यक्तिगत असर
नारा लोकेश ने इस घटना को याद करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि उनके परिवार के लिए एक व्यक्तिगत सहायता भी थी। चंद्रबाबू नायडू के लिए यह सुरक्षा बहाली न केवल उनके जीवन को बचाने के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि इससे यह भी साबित होता था कि डॉ. मनमोहन सिंह एक ऐसे नेता थे जो पार्टी और राज्य की सीमाओं से परे सोचते थे।
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान और उनका राजनीतिक दृष्टिकोण
मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई ऐसे फैसले लिए जिनसे देश को लाभ हुआ। उनके नेतृत्व में देश ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसके अलावा, उनकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उनकी दृष्टि भी हमेशा सराही जाती रही है।
नारा लोकेश का यह बयान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना को उजागर करता है, जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने राजनीतिक परिपक्वता और दूरदृष्टि का परिचय दिया। उन्होंने न केवल राज्य सरकार की इच्छाओं के खिलाफ जाकर चंद्रबाबू नायडू की सुरक्षा बहाल की, बल्कि यह भी दिखाया कि राजनीति में कभी-कभी पार्टी से ऊपर उठकर देश और जनता की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। डॉ. मनमोहन सिंह की यह घटना उनके अच्छे राजनेता होने का प्रमाण देती है, और उनकी यादें हमेशा भारतीय राजनीति में जीवित रहेंगी।