Nancy Pelosi reached Taiwan after China’s threat, said this big thing
सत्य खबर , नई दिल्ली
चीन की धमकियों के बीच यूएस हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची हैं और उन्हें वहां देखकर चीन बुरी तरह से भड़क उठा है और लगातार चेतावनी दे रहा है. जानकारी के मुताबिक नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचते ही चीन के 21 सैन्य विमान ताइवान के एयर स्पेस में मंगलवार को घुस गए थे. इस बीच, नैंसी पेलोसी ने ताइवान में मीडिया से बात करते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कह दिया है कि उनका ताइवान आने के पीछे तीन अहम मुद्दे हैं. पहला-सुरक्षा, दूसरा-शांति और तीसरी अच्छी सरकार.
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नैंसी पेलोसी ने कहा-हम ताइवान के लोगों के साथ हैं
नैंसी पेलोसी ने कहा कि हम हमेशा आप लोगों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि हम ताइवान के लोकतंत्र के समर्थक हैं और मैं जल्द ही वह ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग वेन से मिलूंगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका ताइवान में शांति चाहता है. हम ताइवान के साथ संसदीय आदान-प्रदान बढ़ाना चाहते हैं. ताइवान दुनिया के सबसे स्वतंत्र समाजों में से एक है.
पेलोसी ने कहा कि हम यहां आपकी बात सुनने और आपसे सीखने के लिए आए हैं. हमें एक साथ आगे बढ़ने का रास्ता निकालना होगा. उन्होंने कहा कि हम किस प्रकार मिलकर इस इस ग्रह को जलवायु संकट से बचाने के लिए काम कर सकते हैं इसपर भी बात करेंगे.
नैंसी पेलोसी के दौरे से भड़का हुआ है चीन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहले भी कई बार कह चुके हैं कि चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है और आज नहीं तो कल ताइवान चीन में ही शामिल होगा. इस बीच अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन बुरी तरह से भड़क गया है और ताइवान के चारों ओर युद्धाभ्यास का ऐलान कर दिया है. पहले भी जिनपिंग ने कहा था कि आग से खेलने की कोशिश ना करें नहीं तो हाथ जल जाएंगे. कुछ दिनों पहले ही शी जिनपिंग और जो बाइडेन की फोन पर भी बात हुई थी, लेकिन चीन की अकड़ कम नहीं हो रही है. ऐसे में नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा बड़ी बात कही जा रही है.
चीन और ताइवान का विवाद है पुराना
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है तो वहीं ताइवान का कहना है कि वह एक आजाद देश है. इन देशों के बीच विवाद दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शुरु हुआ था, जब साल 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया था. इसके बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आकर बस गए. यही वह साल था जब चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा था और दोनों देशों के बीच तब से ही विवाद है जो खत्म नहीं हो रहा और अब अमेरिका की इसमें बड़ी एंट्री हो चुकी है.
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