सत्य खबर,अंबाला
1971 के युद्घ में भारत की विजय के 50 साल पूरा होने के उपलक्ष में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से लांच की गई विजय ज्योति मशाल 22 दिसम्बर को अम्बाला पंहुची थी। आज वीरवार को खडग़ा स्टेडियम में इस विषय को लेकर एक शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सेना की टुकडिय़ों द्वारा शौर्यपरक प्रदर्शन करते राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश दिया। अम्बाला छावनी खडग़ा स्टेडियम में भव्य रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इससे पूर्व खडग़ा स्टेडियम में घुड़सवार दस्ते की अगुवाई में स्वर्णिम विजय मशाल को मेजर सुमित सिंह यहां लेकर पहुंचे और जीओसी खडग़ा कौर कमांडर एसएस महल को सौंपा। सेना के जवानों द्वारा शहीदों को सलामी शस्त्र के द्वारा श्रद्धांजली दी गई।
इस अवसर पर सेवानिवृत पीवीएसएम, एसएमवीएम वशिष्ठ सेना मैडल ने कहा कि 1971 के युद्ध में भारतीय सेना को मिली जीत हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी जीत थी । उन्होंने युद्ध में भाग लेने वाले सभी सैनिकों को शैल्यूट करते हुए व विभिन्न जंग में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि भारतीय सेना बहादूरी व बलिदान के लिए जानी जाती है।
यह स्वर्णिम विजय दिवस समारोह खडग़ा स्टेडियम में आयोजित किया गया। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय के 50 साल होने के उपलक्ष्य में सेना की ओर से स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन गया । इसी कड़ी में विजय दिवस पर दिल्ली से चारों दिशाओं में विजय ज्योति निकली है जिनमें से उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति के अम्बाला छावनी में पहुंचने पर खडग़ा कौर द्वारा शानदार एवं भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां से यह विजय ज्योति को कार्यक्रम उपरांत पटियाला के लिए रवाना किया गया।
इस अवसर पर खडग़ा कौर कमांडर एस.एस. महल ने कहा कि स्वर्णिम विजय दिवस समारोह खडग़ा कौर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सन 1971 के युद्ध में खडग़ा कौर ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए बगंलादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उन्होंने कहा कि उस युद्ध में थल व वायुसेना के द्वारा जो तालमेल दिखाया गया वह आज भी हमारे लिए मिसाल है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष खडग़ा कौर का स्वर्णिम वर्ष मनाया जायेगा।
उन्होंने 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों के अदम्य साहस की सराहना करते हुए एवं वीर शहीद सैनिकों के बलिदान पर श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि सेना के जवानों ने देश के संविधान एवं सेना के प्रति जो अपना कत्र्तव्य निभाया है वह काबिल तारीफ है। यह जीत हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी जीत थी। यहां से यह विजय ज्योति पटियाला पहुंचेगी। दिल्ली के नेशनल वॉर मैमोरियल से निकली चार विजय ज्योति देश की एकता के सूत्र को प्रदर्शित करते हुए देश के वीर शहीदों की शहादत को नमन कर रही हैं। उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति अम्बाला होते हुए देश के सबसे उंचे युद्ध स्थल सियाचीन तक जायेगी।
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