PM Modi’s Singapore visit: रक्षा और ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने पर रहेगा जोर
PM Modi’s Singapore visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सिंगापुर की यात्रा पर जा रहे हैं, जहां वे भारत और सिंगापुर के बीच रक्षा और ऊर्जा संबंधों को और मजबूत करने पर जोर देंगे। पीएम मोदी का यह दौरा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ भारत के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
ब्रुनेई का ऐतिहासिक दौरा
पीएम नरेंद्र मोदी दक्षिण पूर्व एशिया के एक छोटे से देश ब्रुनेई का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। तीन दिन के अपने दो देशों के दौरे के पहले चरण में, पीएम मोदी का विशेष विमान ब्रुनेई दारुस्सलाम के हवाई अड्डे पर दोपहर 3 बजे पहुंचा। वहां की सरकार ने उनकी आवभगत की और उन्हें लेने के लिए क्राउन प्रिंस हाजी अल-मुहादी बिल्लाह को भेजा।
सिंगापुर के लिए आज रवाना होंगे पीएम मोदी
बुधवार को ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोलकैयाह के साथ पीएम मोदी द्विपक्षीय बैठक करेंगे और उसी दिन देर शाम सिंगापुर के लिए रवाना होंगे। ब्रुनेई में पीएम मोदी की वार्ता में रक्षा और ऊर्जा संबंधों पर विशेष चर्चा होगी।
ब्रुनेई ने बढ़ाया रक्षा बजट
ब्रुनेई ने अपना रक्षा बजट बढ़ा दिया है, जिससे भारत के लिए वहां कुछ बड़े अवसर पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा, यह देश ऊर्जा भंडार के मामले में भी बहुत समृद्ध है। भारत अभी भी ब्रुनेई से एक अच्छी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा, “यह ब्रुनेई की यात्रा पर जाने वाले किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है, जो इसे विशेष बनाती है।” ब्रुनेई रवाना होने से पहले, पीएम मोदी ने एक बयान में कहा कि ब्रुनेई और सिंगापुर भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ और इंडो-पैसिफिक नीति के तहत महत्वपूर्ण साझेदार देश हैं। उनका दौरा भारत के इन दोनों देशों के साथ-साथ पूरे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत करेगा।
भारत और ब्रुनेई के कूटनीतिक संबंधों के 40 साल
पीएम मोदी ने विशेष रूप से भारत और ब्रुनेई के बीच कूटनीतिक संबंधों के 40 साल पूरे होने का उल्लेख किया है। वहां पहुंचने के बाद, मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मुझे उम्मीद है कि ब्रुनेई के साथ संबंध मजबूत होंगे, खासकर वाणिज्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में।”
पीएम मोदी का यह दौरा न केवल भारत और सिंगापुर के बीच संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत की उपस्थिति और प्रभाव को भी बढ़ावा देगा।