Punjab: ‘मैं बेचैन हूँ…’ – सांसद सुखजिंदर रंधावा जत्थेदार हरप्रीत सिंह के समर्थन में आए; डीजीपी को लिखा पत्र
Punjab के पूर्व उपमुख्यमंत्री और गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा, जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के समर्थन में सामने आए हैं। रंधावा ने पंजाब के डीजीपी गौरव यादव को एक पत्र लिखते हुए शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख नेता वीरसा सिंह वल्टोहा और SAD के सोशल मीडिया आईटी विंग के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। यह मामला पिछले कुछ दिनों से अकाली दल की ओर से जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और उनके परिवार के खिलाफ इस्तेमाल की गई अपमानजनक भाषा से संबंधित है।
रंधावा ने डीजीपी पंजाब को लिखा पत्र
सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पंजाब डीजीपी गौरव यादव को लिखे अपने पत्र में कहा, “पिछले कुछ दिनों से सिखों की सर्वोच्च संस्था, श्री अकाल तख्त साहिब और अन्य तख्त साहिबान, विशेषकर जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ अपमानजनक भाषा का उपयोग किया जा रहा है। जातिगत टिप्पणियां और उनके परिवार के खिलाफ गालियां बर्दाश्त से बाहर हैं। इस तरह की भाषा सिख समुदाय के लिए अस्वीकार्य है।”
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस घटना के बारे में भावनात्मक रूप से बात की, जिससे न केवल वह, बल्कि पूरा सिख समुदाय आहत हुआ है। सांसद रंधावा ने कहा कि जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया है कि शिरोमणि अकाली दल के नेता वीरसा सिंह वल्टोहा ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल किया है और उन्हें धमकी दी है। इसके अलावा, SAD के सोशल मीडिया आईटी विंग द्वारा भी इस प्रकार की घिनौनी हरकतें की गई हैं, जिसे रंधावा सहन नहीं कर सकते। इसी कारण से जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है।
रंधावा ने यह भी कहा कि SAD के सोशल मीडिया आईटी विंग की कमान अकाली दल के बड़े नेताओं के हाथों में है। उन्होंने सिख गुरु के एक अनुयायी के रूप में, न कि एक राजनेता के रूप में, इन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है।
रंधावा की बेचैनी
सांसद रंधावा ने बताया कि इस घटना के बाद से वह रात भर बेचैन रहे। इस बेचैनी के कारण उन्होंने डीजीपी पंजाब को तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने डीजीपी से आग्रह किया कि वीरसा सिंह वल्टोहा, अकाली दल के आईटी विंग और अकाली दल के सुप्रीमो के खिलाफ जत्थेदार हरप्रीत सिंह के बयान के आधार पर मामला दर्ज किया जाए।
रंधावा ने कहा कि यह मामला अत्यधिक संवेदनशील है और इसे राजनीति से दूर रखते हुए उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि सिख समुदाय की भावनाओं को समझते हुए उचित कदम उठाए जाएंगे और संबंधित नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह का इस्तीफा
गौरतलब है कि पिछले दिन तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद उन्होंने गंभीर आरोप भी लगाए थे। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने दावा किया था कि शिरोमणि अकाली दल के नेता वीरसा सिंह वल्टोहा लगातार उनके और उनके परिवार पर हमला कर रहे थे। उनकी यह बात न केवल व्यक्तिगत थी, बल्कि सिख समुदाय की गरिमा पर भी एक प्रहार थी।
हरप्रीत सिंह ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि उनकी स्थिति को कमजोर करने की साजिश रची जा रही थी और उनके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। इन सभी घटनाओं ने उन्हें गहरे आघात में डाल दिया और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सिख समुदाय में आक्रोश
जत्थेदार हरप्रीत सिंह के इस्तीफे के बाद सिख समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया है। सिख समुदाय ने इस घटना को अपने धर्म और संस्थाओं के प्रति एक बड़ा अपमान माना है। समुदाय के नेता और धार्मिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
यह घटना सिख धर्म के सर्वोच्च प्रतीक श्री अकाल तख्त साहिब के सम्मान पर सीधा हमला है, जिसे लेकर सिख समुदाय में गंभीर चिंता और गुस्सा देखा जा रहा है। सिख समुदाय ने जत्थेदार के समर्थन में कई प्रदर्शन किए और उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना पर पंजाब की राजनीतिक पार्टियों में भी हलचल मच गई है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने शिरोमणि अकाली दल की इस घटना पर कड़ी आलोचना की है। सिखों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए SAD को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, और कई नेताओं ने SAD के नेताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।
वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए अपनी सफाई दी है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है और उनके आईटी विंग या पार्टी के किसी भी सदस्य का इस घटना से कोई संबंध नहीं है। SAD ने कहा कि सिख धर्म और उसकी संस्थाओं के प्रति उनका हमेशा से सम्मान रहा है और इस तरह की हरकतें उनकी पार्टी की विचारधारा का हिस्सा नहीं हो सकतीं।
समाधान की दिशा
यह घटना न केवल एक धार्मिक विवाद को जन्म देती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि सिख समुदाय के आंतरिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप कितना गंभीर हो सकता है। ऐसे मामलों में धर्म और राजनीति के बीच संतुलन बनाकर चलना अत्यंत आवश्यक है, ताकि धर्म की गरिमा बनी रहे और राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित हो सके।
इस पूरे प्रकरण में, यह स्पष्ट है कि सिख समुदाय अपने धार्मिक प्रतीकों के सम्मान के लिए कोई भी अपमान सहन नहीं करेगा। जत्थेदार हरप्रीत सिंह के इस्तीफे के बाद अब पंजाब में स्थिति और भी गंभीर हो गई है, और प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करनी होगी।