सत्य खबर । चंडीगढ़
प्रदेश में 7-ए के तहत अप्रैल 2017 से अब तक हुई सभी रजिस्ट्रियों के पन्ने तेजी से खंगाले जा रहे हैं। गुरुग्राम में कई ऐसी रजिस्ट्रियों की जानकारी मिली है, जिनमें खरीदने वाले और बेचने वाले की फोटो मोबाइल से की गई हैं। इन सबकी अब और गहनता से जांच होगी। पिछले तीन साल में 7-ए के तहत जो भी रजिस्ट्रियां हुई हैं, उन सबकी डिटेल भी स्टेट मुख्यालय स्थित एफसीआर ऑफिस में तलब कर ली गई हैं।
यह डिटेल 10 दिसंबर तक पूरी कर भेजनी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें से कितनी रजिस्ट्रियों गड़बड़ी हुई है। यही नहीं जिन रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी मिलेगी, उनके इलाकों के पटवारी और कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका की भी जांच होगी। सरकार ने पिछले दिनों तीन साल में हुई रजिस्ट्रियों की जांच के आदेश दिए थे।
वित्तायुक्त ने अक्टूबर में सभी डिवीजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर 2017 से अब तक 7-ए के तहत हुई रजिस्ट्रियों का ब्योरा मांगा था। अब तक हिसार, अम्बाला और गुड़गांव की डिटेल स्टेट मुख्यालय पहुंच चुकी है, लेकिन इनमें भी कुछ कमियां हैं, जिन्हें जल्द पूरा कर भेजने को कहा गया है। जबकि करनाल, फरीदाबाद और रोहतक डिवीजनल कमिश्नर के यहां से अभी पूरी जानकारी आना बाकी है। इन्हें 10 दिसंबर तक पूरी डिटेल देने को कहा गया है।
एफसीआर ने पहले रजिस्ट्रियों का ब्योरा 16 अक्टूबर तक देने को कहा था, सभी डिवीजनल कमिश्नरों को इस बाबत बाकायदा पत्र लिखा गया था। करीब 15 तहसीलों पर विभाग की गहरी नजर है। इन तहसीलों में बड़े पैमाने पर ऐसी रजिस्ट्रियां करने में गड़बड़ी सामने आ सकती हैं। इन रजिस्ट्रियों में यदि गड़बड़ी सामने आती है तो संबंधित तहसीलदारों के अलावा अन्य कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है।
एफसीआर की ओर से अर्बन लोकल बाॅडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा गया है, उनसे भी इस तरह की रजिस्ट्रियों में अब तक हुई जांच का ब्योरा मांगा गया है, क्योंकि इस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से ही 7-ए की रजिस्ट्रियों में एनओसी जारी करनी होती है। इसके बाद ही रजिस्ट्रियां होती हैं।
प्रदेश में अप्रैल 2017 से अब तक हुई 7-ए के तहत रजिस्ट्रियों की जांच की जा रही है। गुरुग्राम, हिसार और अम्बाला से रिपोर्ट आ चुकी है, जबकि करनाल, रोहतक और फरीदाबाद से आना बाकी है। अब इन रजिस्ट्रियों से जुड़े पटवारियों और कंप्यूटर ऑप्रेटरों की भूमिका की भी जांच होगी। 10 दिसंबर तक सारी डिटेल मांगी गई है।-संजीव कौशल, वित्तायुक्त, एसीएस राजस्व व प्रबंधन विभाग।
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