सत्य खबर, नई दिल्ली
मिलिए इनसे। ये हैं सिमाला प्रसाद। मध्य प्रदेश कैडर की महिला आईपीएस। अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। लीक से हटकर काम की बदौलत। ये संभवतया मध्य प्रदेश की इकलौती ऐसी आईपीएस अफसर हैं, जो बॉलीवुड मूवी में भी काम कर चुकी हैं। अब इन्हें बैतूल की एसपी बनाया गया है। आइए जानते हैं सिमाला प्रसाद के आईपीएस बनने से लेकर फिल्म में अभिनय करने और अब नई जिम्मेदारी मिलने तक के ऐसे शानदार सफर के बारे में, जो हर किसी को आगे बढ़ने और अपने अंदर के कलाकार को जिंदा रखने के लिए प्रेरित करता है।
आईपीएस सिमाला प्रसाद की जीवनी सिमाला का जन्म 8 अक्टूबर 1980 भोपाल मध्य प्रदेश में हुआ है। इन्हें प्रशासनिक अनुभव और अभिनय कला विरासत में मिली हैं। ये पूर्व आईएएस अधिकारी और भींड से एमपी रहे डॉ. भागीरथ प्रसाद व साहित्यकार मेहरून्निसा परवेज की बेटी हैं। 2011 के बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। भोपाल की बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद सिमाला ने सेल्फ स्टडी करते हुए एमपी पीएससी की परीक्षा पास की।
पहले थीं डीएसपी फिर बनीं एसपी सिमाला प्रसाद आईपीएस अफसर बनने से पीएससी में चयनित होकर डीएसपी भी बनी थीं, लेकिन इनका बचपन से ख्वाब आईपीएस बनने का था। इसलिए डीएसपी बनने के बाद फिर सिविल सर्विस की तैयारियों में जुट गई और वर्ष 2011 में आईपीएस बनने में सफल हुईं। ये रतलाम की सीएसपी और नक्सली प्रभावित इलाके डिंडौरी समेत कई जिलों में एसपी रह चुकी हैं। इंदौर में सीएसपी विजय नगर और एएसपी ईस्ट भी रही हैं।
फिल्म ‘अलिफ’ में नजर आईं आईपीएस बनने के बाद भी उनके अंदर एक कलाकार जिंदा था इसलिए उन्होंने डायरेक्टर जैगम इमाम की फिल्म ‘अलिफ’ में एक रोल किया। यह फिल्म नवंबर 2016 में ऑस्ट्रेलिया में इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ क्वींसलैंड में बतौर वर्ल्ड प्रीमियर प्रदर्शित हुई और फरवरी 2017 में रिलीज हुई। फिल्म में उनका किरदार एक ऐसे बच्चे की बहन का है जो मदरसे में पढ़ता है और डॉक्टर बनना चाहता है। बच्चे को जब स्कूल पढऩे के लिए भेजा जाता है तो कट्टरपंथी इसका विरोध करते हैं। इस फैसले से उस लड़के की बहन पर भी असर पड़ता है।’
ऐसे आया रोल का ऑफर खबरों की मानें डायरेक्टर जैगम इमाम अपनी फिल्म अलिफ की कास्टिंग कर रहे थे। इस दौरान दिल्ली में एक कार्यक्रम में उनकी मुलाकात सिमाला प्रसाद से हुई। सिमाला की सादगी और खूबसूरती देखकर जैगाम ने उनसे मिलने का समय मांगा। फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाने के बाद उन्होंने तत्काल सिमाला को रोल के लिए ऑफर किया।
क्यों लिया फिल्म में अभिनय का फैसला मीडिया से बातचीत में सिमाला के अनुसार ‘स्कूल और कॉलेज के दौरान उन्होंने कई नाटकों में काम किया था। इसलिए अभिनय की समझ उनमें पहले से थी। उन्हें लगा कि लोगों में अवेयरनेस लाने के लिए फिल्म में काम करना चाहिए। इसलिए वे मना नहीं कर पाई। फिल्म ‘अलिफ’ मदरसा और मॉडर्न एजुकेशन के बीच की कहानी है।
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किरदार में जान डालने के लिए की मेहनत इस फिल्म में उन्होंने जो किरदार निभाया है। पूरी फिल्म में जो परिवेश दिखाया गया है उसे रियल जिंदगी में न तो उन्होंने कभी देखा और न ही ऐसा कुछ पढऩे और सुनने को मिला। इसलिए किरदार को ठीक से समझाने के लिए डायरेक्टर ने फिल्म के परिवेश की तरह रहने वाली कई मुस्लिम युवतियों से मिलवाया। फिल्म को ऑस्ट्रेलिया में इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ क्विंसलैंड में बतौर वर्ल्ड प्रीमियर प्रदर्शित किया गया। फिल्म को बाइस्कोप ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट स्क्रीन प्ले और बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट के अवॉर्ड भी मिला।
लॉकडाउन में फेमस हुई इनकी कविता ‘मैं खाकी हूं…’ बता दें कि आईपीएस सिमाला प्रसाद को कविता लेखन का भी शौक है। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन में पुलिस बल के लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए इन्होंने ‘मैं खाकी हूं’ कविता लिखी थी, जो काफी सराही गई। सिमाला ने कविता के जरिए यह बताने की कोशिश की कि कैसे पुलिसकर्मी मुसीबतों को झेलते हुए अपने कर्म पथ पर डटे हैं।
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