groom crossed the river by sitting on the mare
सत्य खबर, जम्मू । बरात लेकर आए दूल्हे को दुल्हन के घर पहुंचने के लिए नदी से होकर गुजरने का इम्तिहान देना पड़ा। यह कोई रस्म नहीं बल्कि पुल न होने की वजह से जलमार्ग से आवाजाही की मजबूरी थी। दूल्हा घोड़ी पर बैठकर ठंड के बीच तवी नदी में उतरा और बुजुर्गों को कंधे पर उठाए बराती जान हथेली पर रखकर आगे बढ़े। कई बरातियों की सांसें अटकी हुई थीं। यह देख दरसू पंचायत में दुल्हन के घर वाले शर्मिंदा हो रहे थे, लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें रोजमर्रा मजबूरी का हवाला देकर दिलासा दिया। groom crossed the river by sitting on the mare
जम्मू संभाग के जिला डोडा के अस्सर इलाके से दरसू पंचायत के पिंजर गांव में बरात आई थी। लेकिन, गांव तक सड़क न होने के कारण बरात को नदी के बीच से गुजरना पड़ा। सर्दी के मौसम में नदी के बीच से आती बरात को देखकर गांव तक सड़क न होने का दंश झेल रहे सभी गांववासियों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। घुटनों तक पानी में डूबे बरातियों में सबसे आगे घोड़ी पर सवार दूल्हा था। उसके पीछे चल रहे बरातियों में कुछ बुजुर्गों को कंधों पर उठाकर नदी पार लाया गया। करीब 150 किमी का सफर तय कर अस्सर से आई बरात की इस आपबीती ने दरसू इलाके के 10 गांवों की करीब पांच हजार आबादी की पीड़ा को भी जगजाहिर कर दिया।
बराती बोले, पता होता तो यहां न आते
बरात में आए लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर उन्हें जान जोखिम में डालकर नदी पार करने का पता होता तो वह कतई न आते। शुक्र है आज मौसम साफ था। अगर बारिश होती तो मुमकिन है वे शादी वाले घर तक पहुंच नहीं पाते और बिना दुल्हन लौटना पड़ता। पहले तीन से चार किमी पैदल आना पड़ा। फिर आगे सिर पर सामान उठाकर उफनती नदी पार करनी पड़ी। कुछ सामान भी पानी में भीगने से खराब हो गया। भविष्य में वह अपने किसी भी बच्चे की शादी इस इलाके में नहीं करेंगे।
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दूल्हे ने कहा, ऐसे हालात का मुझे भी नहीं था इल्म, पुल बनाए सरकार
दूल्हे मोहम्मद रफीक ने कहा कि शादी से पहले उन्हें इस दुश्वारी का पता नहीं था। लेकिन, अब शादी यहां कर ली है तो सरकार से अपील है कि जल्द यहां सड़क पहुंचाई जाए। उधर, स्थानीय निवासी मोहम्मद फारूक ने कहा कि बडे़ दुख की बात है कि गांव में आई बारात को भी उस मुश्किल का सामना करना पड़ा, जिसे इस इलाके के हजारों लोग हर रोज झेलते हैं। हर रोज लोग अपनी जान जोखिम में डालकर इस नदी को पार कर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते हैं। इस दौरान अब तक कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। समाज सेवक व स्थानीय निवासी गोविंद राम शर्मा ने कहा कि सड़क और पुल न होने के कारण इलाके की करीब चार से पांच पंचायतों की पांच हजार से अधिक आबादी को परेशानी उठानी पड़ती है। groom crossed the river by sitting on the mare
करीब पांच दशक से लोग लगातार सड़क और पुल की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अभी भी इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके कारण क्षेत्र की कई गर्भवती महिलाएं प्रसव में उपचार केंद्र तक न पहुंच पाने के कारण रास्ते में दम तोड़ चुकी हैं। बच्चे स्कूल जाते समय नदी में बह गए। अधिकतर बच्चों को पढ़ने के लिए उधमपुर व आसपास के इलाकों में भेज दिया है। बहुत से युवा सड़क न होने की वजह से पलायन कर गए। अब इलाके में करीब तीन हजार के करीब आबादी शेष है। पलायन अभी भी जारी है।
डीसी को ज्ञापन, बैक टू विलेज में भी उठाई समस्या
गोविंद राम शर्मा ने बताया कि उधमपुर के उपायुक्त रहे बसीर अहमद खान और शाहिद इकबाल को ज्ञापन सौंपा गया। बाद में जब बैक टू विलेज कार्यक्रम शुरू हुआ तो पहले और दूसरे चरण में पंचायत में आए वित्त विभाग के उप सचिव सलीम बेग को यह समस्या बताई गई। तीसरे चरण में पीडीडी के उप सचिव रजनीश गुप्ता को भी इस दिक्कत के बारे में बताया गया, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
तवी नदी पर पुल न होने के कारण पंचायत तक सड़क भी नहीं है। इससे इलाके की चैनी पंचायत, बैंसता, गोगड, धार, थरोडा, बनी देवी और दरसू पंचायतों के हजारों लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जनप्रतिनिधियों ने बैक टू विलेज के विभिन्न चरणों में आए प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष भी इस मामले को मुख्य रूप से उठाया। डीडीसी, बीडीसी, मंत्रियों को भी कई बार ज्ञापन सौंपे, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। लोग तो झूला पुल ही बन जाए, उसमें भी खुश रहेंगे। -करनैल सिंह, सरपंच, चैनी पंचायत।
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