सत्य खबर, नई दिल्ली । Today’s Hindu Calendar
⛅दिनांक – 28 फरवरी 2023
⛅दिन – मंगलवार
⛅विक्रम संवत् – 2079
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – वसंत
⛅मास – फाल्गुन
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – नवमी 01 मार्च प्रातः 04:18 तक तत्पश्चात दशमी
⛅नक्षत्र – रोहिणी सुबह 07:20 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅योग – विष्कम्भ शाम 04:26 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅राहु काल – शाम 03:47 से 05:15 तक
⛅सूर्योदय – 07:03
⛅सूर्यास्त – 06:42
⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:24 से 06:13 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:27 से 01:17 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
⛅विशेष – नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔸होली रंगों में प्रयुक्त रसायनों का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव 🔸
🔹भारतीय संस्कृति वर्ष भर के त्यौहारों एवं पर्वों की अनवरत श्रृंखला की वैज्ञानिक व्यवस्था करती है । वसंत ऋतु में आनेवाला होली का त्यौहार कूदने-फाँदने एवं प्राकृतिक रंगों से होली खेलने का उत्सव है । इसका स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है । इन दिनों पलाश के फूलों के रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की शक्ति बढ़ती है तथा मानसिक संतुलन बना रहता है, साथ ही मौसम-परिवर्तन से प्रकुपित होने वाले रोगों से रक्षा होती है । परंतु वर्तमान में रासायनिक रंगों के अंधाधुंध प्रयोग से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पैदा हो रही हैं, जिसकी पुष्टि चिकित्सकों ने भी की है ।
🔹’कृत्रिम रंगों में मिले मेलासाइट और माइका जैसे रसायन (केमिकल) साँस की नली, हृदय और गुर्दे (किडनी) जैसे महत्त्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुँचा सकते हैं ।’ -डा. आर.एन. कालरा (अध्यक्ष, इंडियन हार्ट फाउंडेशन)
🔸रंगों में प्रयुक्त रसायनों का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव 🔸
👉🏻 बाजारू रासायनिक रंग मुख्यतः इंजन आयल के साथ आक्सीडाइज्ड धातु या औद्योगिक वर्णकों (डाई) के साथ मिला कर तैयार किये जाते हैं ।
जैसेः-
काला रंग– लेड आक्साइड — गुर्दे की बीमारी
हरा रंग – कॉपर सल्फेट – आँखों में जलन, सूजन, अस्थायी अंधत्व
सिल्वर रंग – एल्युमिनियम ब्रोमाइड – कैंसर
नीला रंग – प्रूशियन ब्लू —‘कान्टेक्ट डर्मेटाइटिस’ नामक भयंकर त्वचारोग
लाल रंग – मरक्यूरी सल्फाइट – त्वचा का कैंसर
🔹अतः होली खेलें परंतु रासायनिक रंगों से नहीं प्राकृतिक रंगों से, जिन्हें आप घर पर आसानी से बना सकते हैं ।
also read:
28 फरवरी का राशिफल : इन राशि वालों को रहना होगा पड़ोसियों से सावधान
आम आदमी पार्टी के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस का बर्बर लाठीचार्ज
🔸प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ🔸
🔸केसरिया रंगः पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है । पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें । यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है । शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधिय गुण होते हैं । आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।
🔸सूखा हरा रंगः मेंहदी या हिना का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें । आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है ।
🔸सूखा पीला रंगः हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छाया में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं ।
🔸गीला पीला रंगः एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं । अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी भिगोकर रखें, सुबह उबालें ।
🔸लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं । यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है। दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें । Today’s Hindu Calendar
Aluminium scrap secondary markets Scrap aluminum handling Environmental metal recycling
Ferrous metal recovery Ferrous scrap market trends Iron scrap compacting
Ferrous material shipping procedures, Iron recovery industry, Scrap metal depots