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पुणे हिट एंड रन केस में दो डॉक्टर भी गिरफ्तार, जानिए क्यों

सत्य खबर,नई दिल्ली ।         

पुणे हिट एंड रन केस इस समय सुर्खियों में है. हादसे वाले दिन नाबालिग आरोपी पोर्शे कार चला रहा था. नशे की आशंका पर आरोपी का ब्लड सैंपल लिया गया था. लेकिन ब्लड रिपोर्ट में शराब की पुष्टि नहीं हुई थी. अब इस पर नया खुलासा हुआ है. आरोपी के ब्लड सैंपल ही बदल दिए गए थे, जिस वजह से ब्लड की जांच रिपोर्ट में अल्कोहल की पुष्टि नहीं हुई थी. पुलिस ने इस मामले में फॉरेंसिंक डिपार्टमेंट के एचओडी और एक डॉक्टर को अरेस्ट किया गया है.

 

आरोपी डॉक्टर श्रीहरि हलनोर को ब्लड सैंपल बदलने के बदले 3 लाख रुपए मिले थे. पुणे पुलिस की जांच में ये बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस ने बताया कि नाबालिग आरोपी के खून का सैंपल कूड़ेदान में फेंका गया. आरोपी डॉक्टर श्रीहरि हालनोर ने नाबालिग आरोपी के खून के नमूने कूड़े में फेंक दिए. एक अन्य व्यक्ति के रक्त के नमूनों का परीक्षण किया गया. डॉक्टर श्री हरि हारलोर ने डिपार्टमेंट HOD डॉक्टर तावरे के कहने पर ऐसा किया.

 

आरोपी का डीएनए पिता से हुआ मैच

पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि हमने लैब में और ससून अस्पतल में सैंपल भेजा. आरोपी का डीएनए और उसके पिता का डीएनए मैच हो रहा है, लेकिन उस रात अस्पताल में जो सैंपल भेजा गया वह आपस में मैच नहीं हो रहा, इसलिए कल शाम आरोपी डॉक्टर से पूछताछ करते हुए उन्हें आज सुबह गिरफ्तार किया गया. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जिस व्यक्ति के ब्लड के साथ सैंपल बदल गया वह कौन है.

 

पुलिस के मुताबिक, दुर्घटना को अंजाम देने वाले नाबालिग को रविवार को मेडिकल जांच के लिए पुणे के ससून सरकारी अस्पताल ले जाया गया. इसी दौरान बच्चे के घरवालों ने डॉक्टर को पैसों का लालच दिया. डॉ अजय तवरे जो कि ससून अस्पताल में फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी के प्रमुख हैं और डॉ श्रीहरि हरलोल जो कि इमरजेंसी विभाग में मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं, आरोप है कि इन्होंने ब्लड सैंपल को बदल दिया.

 

श्रीहरि हरलोल ने लड़के का ब्लड सैंपल लिया था. लेकिन यह महसूस होने के बाद कि इसमें अल्कोहल हो सकता है, बदलने का निर्णय लिया. इतना ही नहीं, अपराध को छिपाने के लिए खास तौर पर छुट्टी पर चल रहे डाक्टर अजय तावरे ने हस्तक्षेप किया और दूसरे मरीज का ब्लड सैंपल जांच के लिए दिया गया. पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार के मुताबिक, पुलिस ने इस केस में आरोपियों के खिलाफ एक और धारा बढ़ाई है. आईपीसी की धारा 120बी भी लगाई गई है.

 

जिस पोर्शे कार से हादसा हुआ था, उसका रजिस्ट्रेशन आरटीओ की ओर से 12 महीने के लिए रद्द कर दिया गया है. नाबालिग आरोपी के बिल्डर पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेद्र अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. दोनों पर आरोप है कि आरोपी नाबालिग को बचाने के लिए दोनों ने घर के एक ड्राइवर को मोहरा बनाया. दोनों ने दबाव बनाकर पुलिस में यह बयान दिलवाया कि गाड़ी नाबालिग नहीं, वह चला रहा था. हालांकि, अब ड्राइवर ने खुद पुलिस को ये सच्चाई बताई है, साथ ही विशाल और सुरेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

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