सत्य खबर, लखनऊ
टिकट न मिलने से उठे असंतोष के ज्वार को थामने के लिए समाजवादी पार्टी दावेदारों में बड़ी उम्मीदें जगा रही है। किसी को एमएलसी का टिकट देने का वायदा किया जा रहा है तो किसी को दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव का टिकट देने का भरोसा दे रहे। यही नहीं नाराज लोगों को यह भी समझाया जा रहा है कि 10 मार्च के बाद सरकार बनने पर बेहतर जगह एडजस्ट किया जाएगा। सपा की इस रणनीति से तमाम लोग तो इस पर भरोसा कर पार्टी को जिताने में जुट गए हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आश्वासन की घुट्टी से भी मानने को तैयार नहीं।
असल में अखिलेश यादव ने जनाधार बढ़ाने के लिए दस दलों से गठजोड़ किया है और उनके कुछ न कुछ सीटें छोड़ी जा रही हैं। ऐसे में पार्टी के वर्तमान विधायक और पिछली बार नंबर दो व नंबर तीन पर रहे लोगों के टिकट भी कट रहे हैं। अखिलेश यादव ने इस बात को महसूस किया है और कहा भी है कि उनके अपने लोगों को ज्यादा त्याग करना पड़ा और अब त्याग नहीं करेंगे। अब एक को छोड़ कर किसी को टिकट की शर्त पर नहीं लेंगे। पर बाहर से आने वालो का दबाव बढ़ता जा रहा है। हाल में कांग्रेस से आई एक महिला नेता को बरेली से टिकट दिया गया तो हरदोई की संडीला से एक महिला रीता सिंह को टिकट देने का भी ऐलान हुआ लेकिन यह सीट सुभासपा को चली गई। अब रीता सिंह को लखनऊ की किसी सीट से टिकट दिया जा सकता है। इसमें लखनऊ कैंट की सीट भी हो सकती है।
संगठन में दिए जा रहे हैं पद
भाजपा के आगरा के विधायक जितेंद्र विधायक सपा में आ गए लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। सपा ने उन्हें जिलाध्यक्ष बना दिया। इसी तरह बरेली की बिथरी चैनपुर सीट से शिवचरन कश्यप टिकट मांग रहे थे। लेकिन सपा ने उन्हे बरेली का जिलाध्यक्ष बना दिया। कांग्रेस से सपा में आए इमरान मसूद को भी सपा ने टिकट नहीं और न ही मौजूदा विधायक मसूद अख्तर को। दोनो को सपा ने एमएलसी बनाने का भरोसा दिया है। ऐसी ही कोशिश मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से हाजी रिजवान के लिए की गई। सपा ने इनका टिकट काट दिया और मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया लेकिन हाजी रिजवान नहीं माने और सपा छोड़ दी।
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