सत्य खबर,नई दिल्ली।
देशभर में मौसम ने एक बार फिर रुख बदल लिया है. जहां एक तरफ पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी हो रही है. वहीं दूसरी तरफ मैदानी इलाकों में बारिश का दौर जारी है. दिल्ली-एनसीआर में हल्की बूंदाबांदी है तो वहीं राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सहित कई राज्यों में बारिश ने समस्या पैदा कर दी. मौसम विभाग का कहना है कि इसका मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ है. हाल ही में एक पश्चिमी विक्षोभ आया था, जिसके चलते मौसम में ये बड़े बदलाव हुए हैं.
वहीं अब फिर मौसम विभाग ने एक और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस यानी कि पश्चिमी विक्षोभ की संभावना जताई है. पूरे उत्तर भारत में अभी ऐसा ही मौसम बना रहने वाला है. आसमान में बादल छाए रहेंगे और हल्की-फुल्की बारिश होती रहेगी. उसके साथ ही धीरे-धीरे यह बारिश और बादल मध्य भारत से होते हुए महाराष्ट्र और दमौसम-अपडेट-दिल्ली-एनसीआर-7क्षिण भारत के हिस्सों तक पहुंचेगी. स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तटीय तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तट पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश संभव है.
छत्तीसगढ़, दक्षिणी मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्रमौसम-अपडेट-दिल्ली-एनसीआर-7 प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश संभव है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक और पश्चिमी हिमालय में हल्की बारिश संभव है. पश्चिमी हिमालय के ऊपरी इलाकों में हल्की बर्फबारी हो सकती है. स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय के करीब पहुंच गया है और अगले 3-4 दिनों में उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों से होकर गुजरेगा.
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निचली पहाड़ियों में हल्की बारिश और 12,000′ से ऊपर की ऊंचाई वाले मध्य और ऊंचे इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है. मौसम गतिविधि का प्रसार और तीव्रता जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से घटते क्रम में होगी. पश्चिमी विक्षोभ को ऊपरी वायु प्रणाली के रूप में अधिक महत्वपूर्ण रूप से चिह्नित किया गया है. इसके राजस्थान और आसपास के इलाकों में पहले से मौजूद चक्रवाती परिसंचरण के साथ जुड़ने की संभावना है.
इसका असर पहाड़ी इलाकों में ज्यादा और मैदानी इलाकों में सीमित दिखेगा. श्रीनगर, पटनीटॉप, पहलगाम, गुलमर्ग, मनाली, कुल्लू, धर्मशाला, डलहौजी और शिमला में बारिश और बर्फबारी की संभावना है. उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र में कुमाऊं क्षेत्र की तुलना में अधिक सक्रियता रहेगी.