सत्य खबर । चंडीगढ़
केस के तथ्यों की सही जानकारी न देने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये जुर्माना (कॉस्ट) लगाते हुए याचिका खारिज करने की बात कही तो वकील ने तंज कसते हुए कहा कि 1 लाख रुपये देने को तैयार हैं। जस्टिस अरुण मोंगा ने इस पर वकील का निमंत्रण स्वीकार करते हुए एक लाख रुपए जुर्माना चंडीगढ़ प्रशासन के कोविड-19 फंड में जमा कराने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि वकील का व्यवहार बेहद खराब रहा है। बावजूद इसके हाईकोर्ट नरमी से ही पेश आ रहा है।
जस्टिस मोंगा ने फैसले में कहा कि वकील ने जुर्माना लगा याचिका खारिज करने पर दावा किया कि कई जज बनाने में उनका हाथ रहा है। फिर यह कोर्ट उनकी याचिका को कैसे खारिज कर सकती है। बावजूद इसके हाईकोर्ट इस मामले में नरमी दिखा कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
यह है मामला
कैथल निवासी शिव कुमार चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि शिक्षण संस्थान के लिए ट्रस्ट के नाम पर उनके साथ धोखा किया गया। इस संबंध में कैथल के एसपी और संबंधित एसएचओ को शिकायत भी दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कैथल के डीसी ने इस मामले में शिकायत पर एसडीएम को जांच सौंपी थी, लेकिन एसडीएम ने कैथल की सिविल कोर्ट में इस संबंध में याचिका विचाराधीन होने पर जांच को बंद करने की सिफारिश की।
याचिका में मांग की गई थी कि पुलिस को आपराधिक कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं। हरियाणा सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि याची ने इस संबंध में कैथल की कोर्ट में भी दो सिविल याचिकाएं दायर कर रखी हैं। इसकी जानकारी हाईकोर्ट को नहीं दी गई। लिहाजा मामले में कोई हस्तक्षेप ना करते हुए याचिका को खारिज किया जाए।
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