Women in America are losing their jobs
सत्य खबर ,नई दिल्ली । अमेरिका में महिलाओं को नौकरी छोड़नी पड़ रही है. वजह है- बच्चों की देखभाल करनेवाली नैनी यानी आया का खर्च. अमेरिका में आया की कमी हो गई है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 1 से 5 साल तक के 1.20 करोड़ बच्चों को आया की जरूरत है. ऐसे में बच्चों की देखभाल के लिए दूसरा विकल्प बचता है- चाइल्ड केयर सेंटर. लेकिन यहां का खर्च इतना ज्यादा है कि मिडिल क्लास नहीं झेल पा रहा.Women in America are losing their jobs
अमेरिका में संयुक्त परिवार का कॉन्सेप्ट है नहीं. वहां अमूमन पति-पत्नी दोनों वर्किंग होते हैं. दोनों अपनी जॉब पर जाते हैं तो ऐसे में बच्चों की देखभाल के लिए आया की जरूरत होती है. इन दिनों अमेरिका में आया की कमी तो है ही, जो मौजूद हैं वो इतनी महंगी हो गई हैं कि बच्चों की देखभाल के लिए कामकाजी महिलाओं को नौकरी छोड़नी पड़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, हजारों महिलाएं तो महामारी खत्म होने के बाद भी अपने काम पर नहीं लौट पाई हैं.
महिलाएं जॉब कर जितना कमा पा रही हैं, वो आया की सैलरी या केयर सेंटर में ही खर्च हो जा रहा. महीने भर काम करने के बावजूद भी महिलाओं के पास पैसों की बचत नहीं हो पा रही. ऐसे में वे नौकरियां छोड़ रही हैं.
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चाइल्ड केयर सेंटर की भारी फीस
अमेरिका में 80 हजार प्रशिक्षित आया की कमी होने के बाद कई कंपनियों ने इसका फायदा उठाया. उन्होंने अमेरिका के शहरी इलाकों में चाइल्ड केयर सेंटर खोले. खासतौर से उन इलाकों में जहां उच्च वर्ग और आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार के लोग रहते हैं. चाइल्ड केयर सेंटर्स में वो स्कूल-कॉलेजों की फीस से भी ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं. ऐसे में मिडिल क्लास परेशान है.
अमेरिका में बच्चों की देखभाल अब इतनी लग्जरी बनती जा रही है कि मिडिल क्लास इसका खर्च नहीं झेल पा रहे हैं. मिडिल क्लास को ही इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. कारण कि घर चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों का जॉब करना जरूरी है. अब घर पर बच्चों की देखभाल करनेवाली आया या फिर केयर सेंटर का खर्च इतना ज्यादा होगा तो जितना वे कमाएंगी, सब उसी में चला जाएगा. इस स्थिति में उनका जॉब करना या न करना बराबर है. फिर तो मांएं घर पर रहकर बच्चों को ही संभालें! यह एक बड़ा संकट है.
दिक्कत ये भी है नए चाइल्ड केयर सेंटर शहर के बाहरी इलाकों में और गांवों में खोले भी नहीं जा रहे. उनका टारगेट ही उच्च वर्ग के समृद्ध लोग हैं, जिनसे वो मोटी फीस वसूल सकें. एक और दिक्कत ये भी है कि अमेरिका में 5 साल तक के 1.20 करोड़ बच्चों को आया की जरूरत है, जबकि चाइल्ड केयर कंपनियां केवल 10 लाख बच्चों की ही देखभाल कर पा रही हैं.
पारंपरिक सामुदायिक चाइल्ड केयर सेंटर्स काफी कम प्रॉफिट मार्जिंन रखते थे और इसके चलते मिडिल और लोअर क्लास के लिए भी ये खर्च उठाना संभव था. लेकिन अब स्थितियां उलट हैं. चाइल्ड केयर कंपनियों पर सर्वे कर रहे एक कंसल्टेंट का कहना है कि चाइल्ड केयर सेंटर चलाने वाली कंपनियों ने अगले साल की कमाई का टारगेट इस साल से 15-20 फीसदी ज्यादा रखा है. यानी अभी चाइल्ड केयर सेंटर की फीस और महंगी होगी.Women in America are losing their jobs
तो फिर सरकार क्या कर रही है?
अमेरिका में जो वर्किंग कल्चर है, उस परिस्थिति में चाइल्ड केयर सेक्टर में कमाई की खूब संभावनाएं हैं. इसलिए इस सेक्टर में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है. अन्य सेक्टर की कंपनियां भी इसमें हाथ आजमा रही है. पारंपरिक सामुदायिक चाइल्ड केयर सेंटर्स में आया की कमी इसलिए भी है कि बड़ी कंपनियां उन्हें मोटी सैलरी का लालच देकर अपने यहां बुला ले रही हैं. सामुदायिक सेंटर्स में आया को औसतन 1200 रुपये प्रति घंटे तक मिलते थे. जबकि कंपनियां इससे ज्यादा दे रही हैं.
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