सत्यखबर पलवल (मुकेश बघेल) – गोवर्धन पर्व को ग्रामीण क्षेत्र में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। महिलाओं द्वारा अलग-अलग घरों से एकत्रित किए गए गऊ गोबर से भगवान श्री गोवर्धन की प्रतिमा बनाई गई और उसे हल्दी, आटे और कपास से सजाया गया। देर शाम को रिति-रिवाज के अनुसार गोवर्धन महाराज की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की जाएगी और घरो में पकवाना बनाए जाएंगे। महिलाओं का मानना है कि पकवान में मीठे पुए बनाए जाते हैं जिनका गोवर्धन पर्व पर अहम महत्व होता है।
पलवल जिला ब्रिज क्षेत्र से लगता हुआ है इलाका है गोवर्धन महाराज की प्रतिविर्ष शुरू होने वाली 84 कोस परिक्रमा भी पलवल जिले की सीमा से होती हुई पूरी की जाती है। इसलिए यहां पर गोवर्धन पर्व का अहम महत्तव होता है। इस पर्व को महिलाएं, बुजुर्ग व बच्चे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है। ग्रामीण महिला उमेश डागर व रितू डागर ने बताया कि धनतेरस से ही गोवर्धन पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती है और यह पर्व दीपावली के एक दिन बाद आता है।
उन्होने बताया कि इस दिन पड़ोसी की महिलाएं गऊ गोबर को एकत्रित कर घर के आंगन में भगवान श्री गोवर्धन की प्रतिमा बनाती है और इस प्रतिमा को बनाने में लगभग दो घंटे का समय लग जाता है। प्रतिमा को आटा, हल्दी तथा रूई लगी सींको से सजाया जाता है। देर शाम प्रत्येक घर में पकवान बनाए जाते है और पकवान में मीठे पुए अवश्य बनाए जाते है महिलाएं गीतों के द्वारा गोवरधन महाराज की पूजा अर्चना करती हैं। मीठे पुओं का गोवर्धन पर्व पर अहम महत्व होता है। उसके बाद गोवर्धन प्रतिमा की परिक्रमा देकर विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।
इस पर्व को इसलिए मनाया जाता है जिससे घर गांव व क्षेत्र में अमन-शांति कायम रहे। किसी प्रकार की आपत्ति नहीं आए। संगीत गाकर महिलाएं गोवर्धन प्रतिमा को बनाती है और उसे सजाया जाता है। उन्होने बताया कि इस पर्व का मुख्य उद्ेश्य है कि जब भगवान इंद्रदेव ने क्रोधित होकर तुफान के साथ-साथ वर्षा का कहर बरपाया था तो उस समय भगवान श्री गोवर्धन महाराज ने पहाड़ को अपनी कंद वाली उंगली पर उठाकर सभी ब्रिजवासियों को उसके नीचे पनाह दी थी और इंद्रदेव के प्रकोप से बचाया था तभी से इस पर्व को मनाया जाता है और इसका अहम महत्व माना जाता है शाम को बच्चे पटाखे व फूलझड़ियां चलाकर गोवरधन के त्योहार पर खुशी व्यक्त करते हैं।
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