अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगा कर शौक को साकार करना चाहती है स्वाति श्योरान
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
शौक किसी भी चीज का हो, वह लग जाता है तो छूटता नहीं है। दरअसल वो शौक एक दिन उस व्यक्ति का जुनून बन जाता है। हम बात कर रहे हैं मिलकपुर गांव की स्वाति श्योरान की, जिसे बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ पेंटिंग का जुनून इस कदर चढ़ा हुआ है कि उठते-बैठते, सोते-जागते उसका पेंटिंग का सिलसिला चलता रहता है। 23 वर्षीय स्वाति श्योरान ने एमटैक आईटी की है और वह इस विषय में पीएचडी करना चाहती है। उसका सपना है कि वह एक प्राध्यापक बन कर देश की सेवा करे और अपने इस पेंटिंग के शौक को भी उम्र भर जारी रखे।
जब दुकानदार ने उसकी फे्रमिंग को हजारों में बेच डाला
वायु सेना में वारंट ऑफिसर स्वाति श्योरान के पिता सुखबीर श्योरान ने बताया कि एक बार एक बड़े शहर में स्वाति श्योरान की कपड़े पर बनी पेंटिंग को फे्रमिंग के लिए भेज दिया। कुछ दिन के बाद जब फ्रेमिंग हुई पेंटिंग को लेने गए तो दुकानदार ने उसे गुम हुई बताया। निराश होकर वह घर लौटे और सारी बात अपनी बेटी को बताई। बेटी स्वाति ने सुनते ही रो-रो कर बुरा हाल कर दिया, क्योंकि उसकी कई दिन की मेहनत पर पानी जो फिर गया था। फिर किसी ने बताया कि जरूर दुकानदार ने उस पेंटिंग को बेच दिया होगा और सलाह दी कि वह उस दुकानदार से पांच हजार वसूल ले। जब उन्होंने दुकानदार से बेटी की व्यथा बताई, तो दुकानदार ने झट से पांच हजार पेंटिंग की कीमत अदा कर दी। दूसरी बार स्वाति द्वारा तैयार जब उसी तरह की पेंटिंग को वे फ्रेमिंग के लिए दूसरी दुकान पर गए और पहले वाले दुकानदार की बात बताई, तो दूसरा दुकानदार कहने लगा, जरूर उसने पेंटिंग को कम से कम दस हजार में बेचा होगा। दूसरे दुकानदार ने स्वाति द्वारा कपड़े पर बनाई नटराज की पेंटिंग को फ्रेम किया तथा स्वाति ने तब उसे घर में सजाया। उन्होंने बताया कि और भी ना जाने कपड़े पर कितने देवी- देवताओं की पेटिंग बनाई हुई है। उसका सपना है कि एक दिन इन सारी पेंटिंग की बड़े शहर में प्रदर्शनी लगाए, ताकि उसका पेंटिंग का यह शौक साकार हो सके।