सत्यखबर हरियाणा (अशोक छाबड़ा) – आठ वर्ष पुराने अनिवासी भारतीय (एनआरआइ) नवनीत सिंह चड्ढा के अपहरण के मामले के दोषियों को बड़ी राहत मिली है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इन छह दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को 10 साल में बदल दिया है। चंडीगढ़ के सत्र न्यायालय ने इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
हाई कोर्ट ने आठ वर्ष पुराने केस में छह दोषियों को दी राहत
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी सजा घटाकर दस वर्ष कर दी है। अनिवासी भारतीय नवनीत का 10 अप्रैल 2012 का चंडीगढ़ से अपहरण कर लिया गया था। वह एक भूमि का सौदा करने आए थे। नवनीत की चंडीगढ़ के सेक्टर- 18 में कोठी थी। अपहरण के बाद नवनीत के भाई गुरमीत के पास एक कॉल आई। गुरमीत उस समय कनाडा में थे। काल करने वाले ने उनके भाई को छोडऩे के एवज में एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगी। उधर, अपहरण की सूचना पर चंडीगढ़ पुलिस सक्रिय हो गई और पुलिस टीम अपहर्ताओं को ट्रेस कर कुरुक्षेत्र पहुंची।
चंडीगढ़ पुलिस ने वहां की स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कुरुक्षेत्र के समीप गांव दुराला में काफी देर तक चले आपरेशन के बाद अपहर्ताओं प्रदीप मलिक, नितिन, संजीव कुमार उर्फ सोनी, सुखदेव, अनिल कुमार व अजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। ऑपरेशन में पुलिस ने नवनीत को सकुशल मुक्त करा लिया। पुलिस ने अपहर्ताओं के कब्जे से साढ़े बारह लाख रुपये और 300 कनेडियन डॉलर भी बरामद कर लिए। यह रकम नवनीत भूमि सौदे के लिए लेकर आए थे। नवनीत की होंडा अकोर्ड गाड़ी व दो मोबाइल फोन भी पुलिस ने बरामद किए थे।
हाई कोर्ट ने दोषियों की अपील पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस जितेंद्र चौहान एवं जस्टिस अर्चना पुरी की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष फिरौती के लिए अपहरण किए जाने की बात को साबित करने में नाकाम रहा है। सिर्फ एक फोन कॉल के आधार पर इसे साबित नहीं किया जा सकता। लेकिन अपहरण जरूर हुआ था और इसके बारे में पीडि़त ने खुद बयान दिए हैं। उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई थी। इसलिए सभी छह दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को घटा कर दस वर्ष की सजा में तब्दील किया जाता है।
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