सत्य खबर, चण्डीगढ़
कहां तो जनता महंगाई के कम होने का इंतजार कर रही थी जबकि केन्द्र सरकार जीएसटी का दायरा बढ़ाते हुए खाने की चीजों को महंगा कर दिया है। अब दही, पनीर, शहद, मांस और मछली जैसे डिब्बा बंद और लेबल-युक्त खाद्य पदार्थों पर माल एवं सेवा कर जीएसटी लगेगा । साथ ही चेक जारी करने के एवज में बैंकों की तरफ से लिए जाने पर शुल्क पर भी जीएसटी देना पड़ेगा । अधिकारियों ने कहा कि माल एवं सेवा कर से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लेने वाली शीर्ष निकाय जीएसटी परिषद ने दरों को युक्तिसंगत बनाने के मकसद से छूट वापस लेने को लेकर राज्यों के वित्त मंत्रियो के समूह की ज्यादातर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं ।
परिषद ने दो दिन की बैठक के पहले दिन मंगलवार को जीएसटी से छूट की समीक्षा को लेकर मंत्री समूह की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया । यह छूट फिलहाल डिब्बाबंद और लेबल युक्त खाद्य पदार्थों को मिलती है । इससे डिब्बा बंद मांस (फ्रोजन छोड़कर), मछली, दही, पनीर, शहद, सूखा मखाना, सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज, गेहूं का आटा, मूरी, गुड़, सभी वस्तुएं और जैविक खाद जैसे उत्पादों पर अब पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा । इसी प्रकार, चेक जारी करने पर बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा । एटलस समेत नक्शे और चार्ट पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा । वहीं खुले में बिकने वाले बिना ब्रांड वाले उत्पादों पर जीएसटी छूट जारी रहेगी । इसके अलावा 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से कर लगाने की बात कही गयी है । अभी इसपर कोई कर नहीं लगता है।
भारांश औसत जीएसटी को बढ़ाने के लिए दरों को युक्तिसंगत बनाना महत्वपूर्ण है । भारांश औसत जीएसटी घटकर 11.6 प्रतिशत पर आ गया है जो इस कर व्यवस्था के लागू होने के समय 14.4 प्रतिशत था । जीएसटी परिषद ने खाद्य तेल, कोयला, एलईडी लैंप, ‘प्रिंटिंग/ड्राइंग इंक’, तैयार चमड़ा और सौर बिजली हीटर समेत कई उत्पादों पर उलट शुल्क ढांचे (कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं के मुकाबले तैयार उत्पादों पर अधिक कर) में सुधार की भी सिफारिश की है । परिषद बुधवार को राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति व्यवस्था जून, 2022 के बाद भी जारी रखने की मांग पर विचार कर सकती है । इसके अलावा कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है । छत्तीसगढ़ जैसे विपक्ष-शासित राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को पांच साल के लिए बढ़ाने या राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70-80 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं ।
जीएसटी प्रणाली में सुधार पर भी राज्यों के वित्त मंत्रियों की रिपोर्ट को मंजूरी दी गयी । इसमें उच्च जोखिम वाले करदाताओं के बॉयोमीट्रिक सत्यापन के साथ वास्तविक समय में बैंक खातों के सत्यापन का सुझाव दिया गया है । राजस्व वृद्धि के आंकड़ों के अनुसार 31 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में से केवल पांच राज्यों….अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और सिक्किम…के राजस्व में वृद्धि जीएसटी के तहत 2021-22 में राज्यों के लिये संरक्षित राजस्व दर से अधिक रही है । राज्यों के भीतर सोने, आभूषण और मूल्यवान पत्थरों की आवाजाही को लेकर ई-वे बिल के संदर्भ में परिषद ने सिफारिश की है कि राज्य एक सीमा तय कर सकते हैं जिसके ऊपर इलेक्ट्रॉनिक बिल जारी करना अनिवार्य होगा । मंत्रियों के समूह ने सीमा दो लाख रुपये या उससे ऊपर रखने की सिफारिश की है ।
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