सत्य खबर, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बिजनौर लोकसभा सीट से बसपा के सांसद मलूक नागर और उनके भाई की संपत्ति को बैंक ने अपने कब्जे ले लिया है, जिसको लेकर भारतीय स्टेट बैंक द्वारा विज्ञापन भी जारी किया गया है। बैंक ने इस विज्ञापन में कहा है कि नागर डेयरी प्राइवेट लिमिटेड को उन्होंने कर्ज दिया था, जिसमें मलूक नागर और भाई राजवीर नागर गारंटर थे। 12 जून 2017 को बैंक द्वारा उन्हें नोटिस जारी कर 60 दिन में 53 करोड़ 65 लाख लाख 7 हजार 866 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया था, लेकिन उनके द्वारा भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद से यह राशि लगातार बढ़ रही है।
भुगतान न करने पर बैंक द्वारा नागर डेयरी और मलूक नागर तथा उनके भाई राजवीर नागर की मेरठ तथा हापुड़ जिले की संपत्ति पर 9 दिसंबर को कब्जा लेने का दावा किया गया है। बैंक ने इसके संबंध में सूचना जारी कर कहा है कि इन संपत्तियों के संबंध में कोई भी लेन-देन न किया जाए। बसपा सांसद मलूक नागर एक बड़े व्यवसायी हैं और नोएडा में भी रियल एस्टेट के अनेक बड़े प्रोजेक्ट में वह जुड़े रहे हैं। हालांकि, सांसद बनने के बाद वह इन प्रोजेक्टों से हट गए थे और रियल एस्टेट कंपनियों में अपने पद से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। डेयरी के इस मामले में बैंक द्वारा की गई कार्रवाई को भी वह गलत बता रहे हैं और इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने का दावा करते हुए कह रहे हैं कि पूरे मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है और वह सात साल से डेयरी से नहीं जुड़े हैं और न ही उसके मैनेजमेंट में हैं।
बैंक की कार्रवाई गलत : सांसद
बसपा सांसद मलूक नागर ने कहा कि इस मामले में उन्हें जानकारी नहीं है और वह पिछले साल से डेयरी के मैनेजमेंट में भी नहीं हैं। यह मामला मेरे भाई से जुड़ा है। भाई ने ही लोन लिया था, जिसमें मैं गारंटर था। बैंक के अधिकारियों से इसको लेकर मेरी कोई बात नहीं हुई है। इस मामले में उनके भाई राजवीर का बैंक से 2018 में और उसके बाद 30 नवंबर 2020 में सेटलमेंट हो गया था। इसके बाद 25 प्रतिशत पैसा जमा भी किया गया था और करीब 16 करोड़ रुपये इसमें जमा किए जा चुके हैं। बैंक ने आगे के पैसे जमा करने के लिए समय दिया था। जिसके पूरे कागजात भाई के पास हैं। उसके बाद भी बैंक द्वारा इस तरह की कार्रवाई करना गलत है। इसको लेकर वह कानूनी राय भी ले रहे हैं और इस मामले में कानूनी कार्रवाई भी कराई जाएगी।
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