सत्यखबर, सफीदों, (महाबीर मित्तल)
सरकार को बड़ा दिल दिखाकर जल्द किसानों से बात करनी चाहिए। यह बात राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कही। वे शनिवार को पुरानी अनाज मंडी में व्यापारी बिंटा जैन के यहां पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस मौके पर उनके साथ विधायक सुभाष गांगोली भी विशेष रूप से मौजूद थे। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून के विरोध में देश का किसान पिछले चार महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर बैठा है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। किसान आंदोलन में 300 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके है लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा। बेशर्म सरकार ने जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के ढांढस के दो शब्द तक नहीं बोले।
दो शब्द बोलना तो दूर अहंकारी व असंवेदनशील सरकार ने किसानों की मांगों को नकारा, फिर उन्हे किसान मानने से इंकार किया और यहां तक कि उन्हे आतंकी बताकर इंसान तक मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बार का बजट सैशन पूरी तरह से निराशाजनक रहा। मैने सत्र के दौरान किसानों की बात उठाई तो हर बात को हंसी, मजाक, खिल्ली व कटाक्ष में उड़ा दिया गया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि इतने लंबे समय तक चले शांतिपूर्वक आंदोलन में नैतिकता के तौर पर सरकार की हार व किसानों की जीत हो चुकी है। भाजपा सरकार के शरारती तत्वों ने किसानों को भडकाने का काम किया लेकिन किसान पूरी तरह से शांति व संयम के मार्ग पर रहा। इस घमंडी व असंवेदनशील सरकार के खिलाफ प्रदेश के लोगों में रोष है।
भाजपा व उसके सहयोगी दल के नेताओं को गांव व सावर्जनिक कार्यक्रमों में ना घुसने देकर लोग अपना रोष जाहिर कर रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार ने दावा किया था कि एक अपै्रल से गेंहू की खरीद शुरू कर दी जाएगी लेकिन सरकार के सभी दावे धरे के धरे रह गए। प्रदेश की मंडियों में गेंहू आ चुका है लेकिन कोई सरकारी खरीददार नहीं पहुंचा। वास्तव में सरकार किसान का गेंहू लेने से पीछे हट रही है। भारतीय खाद्य निगम ने पिछले 70 सालों के नियमों को तोड़कर गेंहू की नमी की मात्रा 14 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी है। यह साफ-साफ संकेत है कि या तो सरकार खरीद करना नहीं चाहती और करना चाहती है तो वह बहुत कम मात्रा में। पालिका चुनावों में सांसद ने कहा कि कांग्रे
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