सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
स्वास्थ्य ही धन है और इसी के दम पर जिन्दगी जी जाए, तो सारी मुसीबतें बौनी पड़ जाती हैं और व्यक्ति अपने जीवन का शतक आसानी से पूरा कर लेता है। अच्छा खानपान की बदौलत ही गांव फरैण कलां का मोलू राम अपने जीवन के 106 वर्ष पूरे कर गत शुक्रवार को भगवान को प्यारा हो गया। मोलू राम ने जन्म 1914 में गंगा बिशन के घर में जन्म लिया और अपने जीवन की शुरूआत की। मोलू राम के तीन बेटे थे, जिनमें से बड़े बेटे डा. भीम सिंह की 2009 में 45 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी, जबकि इससे पहले उनके मंझले बेटे ईश्वर सिंह भी 2004 में असमय मौत के ग्रास में चला गया था। लेकिन दोनों बेटों की मृत्यु होने पर भी मोलू राम ने हिम्मत नहीं हारी और अपने परिवार का पालन-पोषण किया। मोलू राम के छोटे बेटेे मियां सिंह ने बताया कि उनके पिताजी ने 1939 में दूसरे विश्व युद्ध में भाग लिया था। इसके पश्चात वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रभावित होकर आजाद हिंद फौज में बतौर चालक नौकरी की और लगभग 8-9 साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। मियां सिंह ने बताया कि उनके पिताजी मोलू राम ने सदा सादा जीवन व्यतीत किया और अपने कार्य स्वयं किये। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से कोई बीमारी नहीं थी और उन्होंने मरते दम तक किसी दवाई का सेवन भी किया था। उन्होंने बताया कि 105 साल तक खेती-बाड़ी की और पिछले 3 महीनों से उनका स्वास्थ्य थोड़ा गिर गया था, लेकिन मरने से 5 दिन पहले भी उन्होंने खेतों में जाकर खेती का जायजा लिया।
Sustainable aluminium recycling Aluminium scrap billet production Scrap metal volume estimation