सत्य खबर, चण्डीगढ़
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जमीनों की रजिस्ट्री के मामले में अनियमितता करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। राज्य सरकार को जहां भी गड़बड़ी होने का अंदेशा हुआ तो उसकी जांच करवाई गई और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। उन्होंने सदन के कुछ सदस्यों द्वारा ‘जमीनों की रजिस्ट्री में अनियमितता के आरोपों’ के बारे लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का करारा जवाब दिया जिससे आलोचना करने वाले सदस्य निरुत्तर हो गए।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जिस प्रकार से राज्य सरकार ने जमीनों की रजिस्ट्री करने में नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है उसको देखते हुए विपक्ष के सदस्यों को आलोचना की बजाए सराहना करनी चाहिए, क्योंकि आज तक के इतिहास में इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
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डिप्टी सीएम ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 18 के तहत अचल सम्पत्ति के हस्तांतरण से सम्बन्धित दस्तावेजों के पंजीकरण के कार्य को पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 21, 22, 23, 24, 28, 32, 33, 34 तथा 35 में निहित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण अधिकारी कार्य करता है अर्थात किसी भी दस्तावेज को पंजीकरण करने के लिए स्वीकार करने से पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि सम्बन्धित अचल सम्पत्ति उसके अधिकार क्षेत्र में आती है। दस्तावेज के निष्पादन की तिथि के चार माह के अन्दर-2 उसके सामने निष्पादनकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तथा अचल सम्पत्ति की उचित पहचान के लिए नक्शा, राजस्व रिकार्ड के साथ दस्तावेज का मिलान किया जाता है। अचल संपत्ति के दस्तावेजों के पंजीकरण के समय पंजीकरण अधिकारी द्वारा कुछ अन्य केन्द्रीय एवं राज्य अधिनियमों में दिए गए प्रावधानों की अनुपालना भी करनी होती है।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2017 से पहले एक हेक्टेयर की खाली भूमि का नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 7-क के तहत अनाधिकृत कॉलोनियों को बढ़ने से रोकने के लिए टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में बिक्री एवं पट्टे के लिखित, दस्तावेजों के पंजीकरण हेतु पंजीकरण प्राधिकारी द्वारा डीटीपी द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में (3 अप्रैल, 2017 द्वारा अधिसूचित 2017 का हरियाणा अधिनियम संख्या 11) क्षेत्र को एक हेक्टेयर से घटाकर 2 कनाल कृषि भूमि अर्थात कृषि भूमि में नहरी, चाही, बरानी या राजस्व रिकार्ड में किसी अन्य शब्द के रूप में दर्ज की गई भूमि शामिल है। इसके बाद, 14 सितंबर 2020 को उक्त एक्ट में संशोधन करते हुए दो कनाल कृषि भूमि के स्थान पर 1 एकड़ खाली भूमि किया गया है।
दुष्यंत चौटाला ने आगे जानकारी दी कि हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्र विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 7-क के उल्लंघन के सम्बन्ध में जून, 2020 में राज्य सरकार को पंजीकरण अधिकारियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के आधार पर प्रारम्भिक जांच करवाई गई तथा उक्त एक्ट की अवहेलना करने के कारण जिला गुरूग्राम के 3 सब-रजिस्ट्रार तथा 5 संयुक्त सब-रजिस्ट्रारों के विरुद्ध हरियाणा सिविल सेवाएं (दण्ड एवं अपील) नियम, 2016 (ग्रुप-ग) के नियम-7 के तहत आरोप पत्र जारी किए गए हैं तथा 1 सब-रजिस्ट्रार तथा 5 संयुक्त सब-रजिस्ट्रारों के विरूद्ध आईपीसी की धारा 420 तथा उपरोक्त एक्ट के सेक्शन 10 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई हैं।
दुष्यंत चौटाला ने आगे बताया कि हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्र विनियमन अधिनियम, 1975 (नगर एवं ग्राम योजनाकार विभाग, हरियाणा की अधिसूचना दिनांक 3 अप्रैल 2017) की धारा 7-क के उल्लंघन के सम्बन्ध में वित्तायुक्त एवं राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के 13 अगस्त 2020 के अर्ध सरकारी पत्र द्वारा राज्य के सभी मण्डल आयुक्तों से जांच रिपोर्ट मांगी गई। इसमें पाया गया कि हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्र विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 7-क के तहत डीटीपी से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना बहुत से सब-रजिस्ट्रार तथा संयुक्त सब-रजिस्ट्रारों द्वारा भूमि के हस्तांतरण और बिक्री दस्तावेजों को पंजीकृत किया गया है। टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की 3 अप्रैल, 2017 की अधिसूचना के तहत अधिसूचित क्षेत्र में बिक्री एवं पट्टे के पंजीकरण से पूर्व सब-रजिस्ट्रार तथा संयुक्त सब-रजिस्ट्रारों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य था।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने भूमि हस्तान्तरण हेतु दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए मौजूदा व्यवस्था में कमियों बारे शिकायतों पर गंभीरता से विचार किया है। अचल संपत्ति के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के उद्देश्य से नए वेब हैलरिस को अन्य विभागों जैसे शहरी विकास विभाग, टीसीपी विभाग, एचएसवीपी, पंचायत एवं विकास विभाग तथा आवास बोर्ड को एक दूसरे के साथ जोड़ा गया है ताकि उक्त अधिनियम की धारा 7-क की उल्लंघना ना हो।
दुष्यंत चौटाला ने आगे बताया कि राज्य के सभी मण्डल आयुक्तों से 3 अप्रैल 2017 से 13 अगस्त 2021 तक पंजीकृत बैयनामों एवं पट्टानामों से सम्बन्धित दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है जिसके अनुसार कुल 64,577 दस्तावेजों (गुरूग्राम मंडल- 21,716, करनाल मंडल- 9,774, अम्बाला मंडल- 2,864, हिसार मंडल- 1,016, रोहतक मंडल- 10,849 तथा फरीदाबाद मण्डल- 18,358) में उक्त अधिनियम की उल्लंघना पाई गई है। इनमें से 8,182 दस्तावेज करनाल जिले से तथा 14,873 दस्तावेज गुरूग्राम जिले से सम्बन्धित हैं, जिनमें उक्त अधिनियम की धारा 7-क का उल्लंघन पाया गया है। राज्य सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 133 सब-रजिस्ट्रारों तथा 97 संयुक्त सब-रजिस्ट्रारों द्वारा पंजीकरण के समय हरियाणा के विकास और शहरी क्षेत्रों के विनियमन अधिनियम 1975 (अधिसूचना दिनांक 3-4-2017) की धारा 7-क के प्रावधान की अनुपालना नहीं की गई जिसके कारण सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ हरियाणा सिविल सेवाएं(दण्ड एवं अपील) 2016, के नियम-7 के तहत कार्यवाही करने से पूर्व 15 दिन के अन्दर-2 स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके अतिरिक्त राज्य के सभी उपायुक्तों को 156 पंजीकरण लिपिकों के खिलाफ मामले में स्पष्टीकरण प्राप्त करने के बाद हरियाणा सिविल सेवाएं (दण्ड एवं अपील) नियम, 2016 (ग्रुप-ग) के नियम-7 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया गया है। इसके अतिरिक्त पटवारियों द्वारा कृषि भूमि को गैर मुमकिन भूमि के रूप में राजस्व रिकार्ड में गिरदावरी के दौरान तब्दीली की गई जिससे हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्र विनियमन 1975 की धारा 7-क की उल्लंघना करने में अधिसूचित क्षेत्र में बैयनामों तथा पट्टेनामों से सम्बन्धित दस्तावेजों के पंजीकरण करने के लिए सहायक सिद्ध हुई। उक्त उल्लंघना के लिए सभी उपायुक्तों को कुल 381 पटवारियों के खिलाफ मामले में स्पष्टीकरण प्राप्त करने के बाद हरियाणा सिविल सेवाएं (दण्ड एवं अपील) नियम, 2016 (ग्रुप-ग) के नियम-7 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है।
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