सत्य खबर, चण्डीगढ़
ये बात तो सभी जानते हैं कि ट्रेन में सफर करने के लिए यात्रियों को सबसे पहले उसकी टिकट लेनी होती है। इसके लिए यात्री या तो रिजर्वेशन खिडक़ी से टिकट ले सकते हैं या फिर ऑनलाइन माध्यम से भी टिकट को बुक करा सकते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खास ट्रेन के बारे में बताना जा रहे हैं जिसमें सफर करने के लिए टिकट की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
यदि आप भी घूमने के शौकीन हैं तो आपके लिए ये खबर काफी खास हो सकती है। भारत में एक ऐसी ट्रेन चलाई जाती है जिसमें सफर करने के ले कोई भी टिकट की जरूरत ही नहीं है। इतना ही नहीं इस ट्रेन में बैठकर एक अहम जगह की खूबसूरती का भी आनंद लिया जा सकता है। आइए जानते हैं इन खास ट्रेन के बारे में।
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भाखड़ा डैम की सैर कराती है ये ट्रेन
बता दें कि ये खास ट्रेन हिमाचल प्रदेश और पंजाब बॉर्डर पर ही चलती है। इस ट्रेन के माध्यम से आप भाखड़ा डैम की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए जा सकते हैं। वहीं इससे भाखड़ा डैम के बारे में भी काफी कुछ जानने को मिलता है। खास बात ये है कि इस ट्रेन में सफर करने के लिए आपको टिकट की कोई जरूरत नहीं है। ये ट्रेन नंगल से भाखड़ा तक ही चलती है। पिछले 73 वर्षों से 25 गाँव के लोग इस ट्रेन में फ्री ही सफर कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस बांध को बनाने की योजना 1944 में शुरू हुई थी। उस समय पंजाब के राजस्व मंत्री छोटू राम और बिलासपुर के राजा के बीच समझौता हुआ था। 1945 में इस योजना पर बातचीत होने शुरू हुई तथा 1946 में इस बांध को बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया था। इस निर्माण क ार्य को अमेरिकी इंजीनियर हार्वे स्लोकेम की निगरानी में पूरा किया गया। वहीं 1963 में ये बांध बनकर तैयार हो गया था।
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जानिए लिजिए इस ट्रेन से जुड़ी खास बातें
बताया जाता है कि इस ट्रेन को चलाने का उद्देश्य देश के युवाओं को इस बांध के इतिहास की जानकारी देना है। वहीं इस जगह की खूबसूरती भी हर किसी का दिल जीत लेती है। इस डीजल इंजन वाली ट्रेन में हर दिन 50 लीटर से भी ज्यादा डीजल की खपत होती है। ये ट्रेन सिर्फ नंगल से भाखड़ा तक ही चलती है।
ट्रेन सुबह 7:05 बजे नंगल से चलती है और 8:20 पर वापस भाखड़ा से नंगल की ओर चलती है। इसके बाद वापस ट्रेन नंगल से 3.05 पर भाखड़ा के लिए चलती है और 4:20 पर भाखड़ा से नंगल के लिए चलती है। इस सफर में करीब 40 मिनट का समय लगता है। पहले इस ट्रेन में 10 बोगियां थी जबकि यात्रियों की कमी के चलते अब मात्र 3 ही बची हैं। इनमें भी यात्रियों की संख्या काफी कम है।
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