सत्य खबर, दिल्ली
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के रद्द होने के बाद विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया है। पाकिस्तान के संविधान-कानून के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अब भी इमरान सरकार की ओर से अविश्वास प्रस्ताव रद्द करने के पीछे के तर्कों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर डिप्टी स्पीकर की तरफ से संविधान के अनुच्छेद 5 के तहत प्रस्ताव को रद्द करने के कदम को लेकर अब भी बहस छिड़ी है। हालांकि, बहुत कम लोगों को ही मालूम है कि आज सुबह पाकिस्तान की संसद में ऐसा क्या हुआ कि इमरान को संविधान को ताक पर रखकर यह कदम उठाना पड़ा।
क्या थी इमरान खान की पहली योजना?
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो डिप्टी स्पीकर की तरफ से अनुच्छेद 5 का जिक्र करते हुए अविश्वास प्रस्ताव रद्द करवाना इमरान सरकार का दूसरा विकल्प था। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की पहली तैयारी यही थी कि वह नेशनल असेंबली में अपने सारे सांसदों को जुटाएगी और फिर इस्तीफों के जरिए सरकार गिराने का एलान कर देगी।
कल रात यानी शनिवार रात को इमरान सरकार की तरफ से यह दावा भी किया गया था कि उसके 140 सांसदों ने इस्तीफा दे भी दिया है। इन सांसदों को रविवार को नेशनल असेंबली में इस्तीफा देने के लिए कहा गया। हालांकि, आज जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो पीटीआई के अधिकतर सांसद सदन में ही नहीं पहुंचे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्तीफे का वादा करने वाले 140 में से सिर्फ 80 सांसद ही असेंबली पहुंचे। इसके बाद इमरान सरकार ने स्पीकर के जरिए अविश्वास प्रस्ताव को गिरवाने का फैसला किया।
अटॉर्नी जनरल-स्पीकर ने दी थी अविश्वास प्रस्ताव रद्द न करवाने की चेतावनी
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान और स्पीकर असद कैसर ने इमरान खान को चेतावनी दी थी कि संसद में उनकी तरफ से अविश्वास प्रस्ताव को बिना वोटिंग के रद्द करवाने से जुड़ा कोई भी फैसला असंवैधानिक होगा। दोनों की तरफ से इमरान को इस तरह के कदम न उठाने की हिदायत भी दी गई।
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सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव रद्द कराने के पीछे दिया अनुच्छेद 5 का हवाला
हालांकि, इसके बावजूद आज सुबह अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, तो सबसे पहले इमरान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी खड़े हुए। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 5(1) के तहत रियासत से वफादारी हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने इमरान खान के उन आरोपों को भी दोहराया, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान की सरकार को गिराने में विदेश से साजिश की जा रही है।
संविधान के जिक्र में इमरान सरकार से कहां हुई गड़बड़?
फवाद चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव गिरवाने के लिए डिप्टी स्पीकर के सामने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 के पहले क्लॉज का जिक्र किया। हालांकि, अगर इसी अनुच्छेद के दूसरे क्लॉज यानी अनुच्छेद 5 (II) को देखा जाए तो इसमें साफ कहा गया है- “संविधान और कानून का अनुपालन करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। चाहे वह पाकिस्तान में स्थायी तौर पर रह रहा हो या कुछ समय के लिए शरण लेकर आया हो।”
सुप्रीम कोर्ट में अब क्या हो सकता है?
सरकार की ओर से अविश्वास प्रस्ताव रद्द कराने के बाद विपक्ष ने नेशनल असेंबली में ही धरना शुरू कर दिया। साथ ही विपक्षी पार्टियों ने पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में भी अपील दायर कर इमरान सरकार के फैसले को असंवैधानिक ठहराया। इन पार्टियों का कहना है कि सरकार बिना किसी वाजिब कारण या सबूत पेश किए अविश्वास प्रस्ताव नहीं रद्द करा सकती। इसके अलावा अपने सांसदों के इस्तीफे पेश किए बिना संसद भंग नहीं कर सकती।
अब अगर सुप्रीम कोर्ट डिप्टी स्पीकर के अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने और पीटीआई शासन की ओर से चुनाव कराने की सिफारिश के फैसले को असंवैधानिक ठहरा देता है, तो इमरान सरकार अनुच्छेद 5 (II) के उल्लंघन की दोषी साबित हो जाएगी।
संविधान के उल्लंघन के दोषी पाए गए तो इमरान पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
इमरान खान अगर पाकिस्तान संविधान के उल्लंघन के दोषी पाए जाते हैं तो उन पर इसी संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत कार्रवाई होगी। इसके तहत
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क्लॉज 1: “अगर कोई व्यक्ति संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन करे, उसे गलत तरीके से पेश करे या उसे जबरदस्ती और साजिशन रोकने की कोशिश करे, तो ऐसा व्यक्ति राष्ट्रदोह का दोषी होगा।”
क्लॉज 2: “कोई व्यक्ति पहले क्लॉज के तहत संविधान उल्लंघन में किसी की मदद करेगा, तो वह भी राष्ट्रदोह का दोषी होगा।”
क्लॉज 3: “मजलिस-ए-शूरा में संविधान उल्लंघन करने वाले राष्ट्रदोहियों के खिलाफ सजा तय करने वालों को सजाएं मिलेंगी। इनमें सजा-ए-मौत से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा देने का भी जिक्र किया गया है।”
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