एक पिता सौ अध्यापको पर भी भारी -रामभज लोधर
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
यह तो सही है कि अध्यापक को समाज में गुरू का दर्जा दिया गया है। लेकिन पिता वह छायादार वृक्ष है जो स्वयं धूप में रहकर अपने बच्चों को छाया प्रदान करता है। इसलिए पिता नामक यह व्यक्ति अपनी कुर्बानी से एक बार तो गुरू से भी ऊपर उठा प्रतीत होता है। यह कथन पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामभज लोधर ने फादर डे के मौके पर एक बयान में कहे। रामभज लोधर ने कहा कि पिता वह शख्सियत है, जिन्होंने हमें इस धरती पर लाकर जीने योग्य बनाया। हो सकता है हमारी परवरिश में मां, दादा-दादी, नाना-नानी तथा चाचा-ताऊ की भी भूमिका रही हो, लेकिन इन सब में पिता का कोई सानी नहीं। इसलिए पिता नामक इस महानुभाव की हम जितनी भी तारीफ करें, वह कम है। एक बात और, कोई भी पिता अपने बच्चों से तारीफ सुनने की बजाए वह चाहता है कि बच्चे उसका नाम रोशन करें। बस, इसी तमन्या के साथ वह अपनी सारी जिंदगी अभाव में काट देता है कि उसके बच्चे सुख-सम्पन्न बनें।