सत्यख़बर, ब्यूरोरिपोर्ट
आजकल अहीरवाल के राव साहब पूरे फॉर्म में हैं । जहां भी मौका मिलता है पार्टी को अपना संदेश अपनी मन की बात के माध्यम से सार्वजनिक रूप से देने में बिल्कुल नहीं हिचक रहे। परन्तु विडंबना यह है कि राव साहब आजकलअपनी जिस साफगोई के लिए तालियां बजवाते हैं वह बातें वास्तव में उनके स्वभाव से बिल्कुल विपरीत उनके स्वयं के साथ झूठ बोलने जैसी हैं। अब उनकी पिछले दिनों बीजेपी के प्रदेश परिषद की मीटिंग में दिए गए भाषण को ले लीजिए। कार्यकर्ताओं के प्रति जो प्यार उनके दिल में उमड़ा वह अभूतपूर्व एवं आश्चर्यजनक था। जिस अंदाज में उन्होंने कहा वह आश्चर्यजनक तो नहीं था परंतु भारतीय जनता पार्टी के मंच से कुछ हिम्मतवाला जरूर था। उनकी हिम्मत को दाद दी जाती है कि उन्होंने जो कहना था वह कहा और मंच पर उपस्थित बीजेपी के बड़े-बड़े धुरंधर महाभारत के भीष्म पितामह एवं गुरु द्रोणाचार्य की भूमिका में खामोश नजरों से एक दूसरे की तरफ बेबसी से देखते रहे। मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति पर तंज भरी हंसी से जिस तरीके से उन्होंने लोगों को हंसाया वह भी एक विशेष नजारा था।
खैर, बीजेपी के नेताओं की कोई मजबूरी रही होगी वह समझ में आती है। परन्तु हिम्मत करके उनसे इनमें से कोई बात तो पूछी ही जा सकती थी:—-
1. राव साहब 50 साल के राजनीतिक जीवन में अपने हल्के के 25 गांव ऐसे बता दें (रैलियों के इलावा) जिनमें कभी सार्वजनिक रूप से खुले में बैठकर लोगों की शिकायतें सुनी हों और उनका दुख दर्द पूछा हो।
2. वह अपने हलके के 50 ऐसे सामान्य कार्यकर्ताओं में के नाम बता दें जिसने कभी उनके दरवाजे की घंटी बजा कर उनसे मिलने की हिम्मत की हो।
3. वह कोई ऐसे 10 देहात के सामान्य कार्यकर्ता बता दें जिन्होंने उनके ड्राइंग रूम में बैठकर उनके साथ चाय पीयी हो।
4.वह जिन बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं की बात करते हैं उनमें पिछले 8 साल में ऐसे 8 कार्यकर्ता बता दें जिनको कभी अकेले में बैठा कर दुख दर्द पूछा हो।
5.वह अपने 100 ऐसे सामान्य कार्यकर्ताओं के नाम बता दें जो सीधे उनके मोबाइल नंबर पर जब मर्जी उनसे बात कर सकते हैं।
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6 वह अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कोई 1 साल ऐसा बता दें जिसमें एक पूरे सप्ताह अर्थात सातों दिन अपने कार्यकर्ताओं से लगातार मिले हों। (चुनाव को छोड़कर)
7. वह कोई 1 साल ऐसा बता दें जिसमें उन्होंने कभी अपने क्षेत्र के सामान्य कार्यकर्ताओं के 20 निकट संबंधियों की शोक सभा में पहुंचे हों।
8. वह कोई एक ऐसा साल ही बता दें जिसमें 20 सामान्य कार्यकर्ता के घर किसी शादी समारोह में शामिल हुए हों
9. वह अपनी लोकसभा या विधानसभा जहां से भी उन्होंने प्रतिनिधित्व किया है उसकी 50 साल में 10 ऐसी कार्यवाही दिखा दें जिसमें उन्होंने लोकसभा अथवा विधानसभा में अपने हल्के की किसी समस्या को उठाया हो।
10.अरे साहब, कार्यकर्ताओं की बात को भूल जाइए, वह इस बात को ही ईमानदारी से स्वीकार कर लें कि बिना पहले समय लिए तो वह अपने समर्थक विधायकों से भी नहीं मिलते।
इसलिए धन्य हैं राव साहब! इतना बड़ा नकली सामान बड़े आत्मविश्वास के साथ बेच गए और पार्टी की सहनशीलता भी धन्य है। दोनों ही पक्ष बधाई के पात्र हैं।
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