नागरिकता बिल लोकसभा में तो आसानी से पास हो गया लेकिन कल जब मोदी सरकार इसे राज्यसभा में पेश करेगी तो रास्ता इतना आसान नहीं होगा। जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ से लोकसभा में तो सरकार को इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई. लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यसभा में समर्थन देने के लिए शर्त रखकर फिलहाल मुसीबत बढ़ा दी है। नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का जो भी विरोध कर रहे हैं, उन सभी को देशद्रोही मानना भ्रम है. केवल बीजेपी ही देश का ध्यान रख सकती है ये भी भ्रम है. शरणार्थी कहां और किस प्रदेश में रखे जाएंगे. ये सारी बातें स्पष्ट होनी चाहिए. साथ ही शिवसेना का कहना है कि शरणार्थियों को 25 साल तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। शिवसेना प्रमुख ने जिस तरह से शर्तें रखी हैं, उसके बाद राज्यसभा में समीकरण को नए तरीके से बैठाना होगा. उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर किसी नागरिक को इस विधेयक से डर लग रहा है तो उसकी शंका को दूर किया जाना चाहिए। वे सभी हमारे नागरिक हैं और उन्हें अपने सवालों का जवाब मिलना चाहिए। शिवेसना के पास भले ही 3 राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे की शर्त ऐसी है, जिसके आधार पर कई और भी दल शिवसेना के सुर में सुर मिला सकते हैं. ऐसे होता है तो मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में पास कराने की बड़ी चुनौती होगी। इस बिल को शिवसेना राज्यसभा में समर्थन देगी या नहीं, इस सवाल के जवाब में शिवसेना सांसद संजय राउत ने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी का स्टैंड बुधवार को पता लगेगा। वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बिल को समर्थन के सवाल पर कहा था, अलग अलग भूमिका होती है क्या हमारी? राष्ट्र के हित की भूमिका को लेकर शिवसेना हमेशा खड़ी रहती है, इसपर किसी का एकाधिकार नहीं है।
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