सत्यखबर,हिसार
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य युवा कांग्रेस नेता भव्य बिश्नोई ने किसान आंदोलन में शहीद हुए हिसार संसदीय क्षेत्र के किसानों के निधन पर शोक जताने पहुंचे और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। सोमवार को उन्होंने गांव ढाया पहुंचकर शहीद हुए किसान दिनेश सूरा के परिजनों से मुलाकात की। भव्य ने कहा कि वीर किसानों को बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। जनविरोधी, घमंडी भाजपा सरकार ने अब तक अन्नदाताओं की जायज मांगों को सुनना तो दूर शहीद किसानों के प्रति दो लफ्ज़ संवेदना के बोलना भी जरूरी नहीं समझा।
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सत्ता के नशे में भाजपा जनभावनाओं को दरकिनार करके अपने पूंजीपति मित्रों का घर भरने में लगी है। केन्द्र एवं प्रदेश की गठबंधन सरकार की ज्यादातर नीतियां कार्पोरेट को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। झूठे राष्ट्रवाद का ढोल पीटने वाली भाजपा की पोल जनता के बीच खुल गई है। देश की आन-बान और शान सरकारी संस्थानों को बेचने की भाजपा की नीतियों से हर वर्ग में भारी रोष है। बैंक, रेलवे, एलआईसी, एयरपोर्ट से लेकर देश की पहचान सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपकर भाजपा देश को किस ओर ले जाना चाहती है। पहले नोटबंदी, जीएसटी, तालाबंदी और अब धड़ल्ले से जारी निजीकरण ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है, वहीं रेहड़ीवाले, छोटे दुकानदार, मध्यमवर्ग के सामने रोजगार का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। जब सभी संस्थान प्राइवेट हो जाएंगे तो निश्चित तौर पर बेरोजगारी और बढ़ेगी, क्योंकि कार्पोरेट का मतलब सिर्फ और सिर्फ मुनाफा अधिक से अधिक मुनाफा। चाहे उसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।
सरकारी संस्थान देश के युवाओं के लिए रोजगार के आदर्श थे, वहीं रेलवे गरीब व आम आदमी के लिए सफर का सस्ता साधन। भाजपा सब कुछ खत्म कर देना चाहती है। चुनावों में भाजपा नेता प्रचार करते थे कि कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया। कांग्रेस ने जो 70 साल में देश के विकास की पहचान बड़े-बड़े संस्थान खड़े किए थे, उन सभी को भाजपा अपने पूंजीपति मित्रों के हवाले कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा देश में धर्म, जातिवाद का जहर घोलकर सत्ता हथियाती है और सत्ता में आते ही अपने कार्पोरेट मित्रों के हितों के लिए काम कर रही है। ऐसा लगता है देश में सरकार नहीं, बल्कि कार्पोरेट कंपनियों का राज है। इस दौरान रणधीर पनिहार, विक्रांत देवीलाल बिश्नोई, जयवीर गिल, विनोद ऐलावादी, राजाराम खिचड़, सतेन्द्र भांभू आदि उपस्थित थे।
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