सत्यखबर, हरियाणा
हरियाणा में पैदा होने वाली मुच्छल बासमती यानी 1401 और 1121 के रेटों में पिछले तीन दिनों से तेजी आई है। यह रेट सात साल बाद किसानों को मिल रहा है। इससे पहले 2014-15 में किसानों को यह भाव मिला था। ऐसे में सात साल बाद बासमती चार हजार रुपए प्रति क्विंटल के पास पहुंचा गया है। बाजार में चावल का भाव पिछले सप्ताह सात हजार क्विंटल था, जो शुक्रवार को 7200 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। ऐसे में तीन कृषि कानून की वापसी के बाद बासमती के रेट में उछाल आना किसानों के लिए दोहरी खुशी की बात है।
ये भी पढ़ें… रेप नहीं कर सका तो युवती की आंख फोड़ी : 7 दिन बाद होनी थी शादी
सीजन की शुरुआत में थे भाव कम
सीजन की शुरुआत में पीबी 1401 के भाव तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल से नीचे थे। लेकिन पिछले सप्ताह में भावों में तेजी आई है। यह किस्म सिरसा, फतेहाबाद, राजस्थान के हनुमानगढ़ सहित पंजाब के कुछ जिलों में पैदा होती है। सोमवार को फतेहाबाद की टोहाना मंडी में डीबी 1401, 3800 रुपए प्रति क्विंटल बिकी। रविवार को यही किस्म 3771 रुपए प्रति क्विंटल बिकी। सोमवार को रतिया मंडी में यही किस्म 3755 रुपए प्रति क्विंटल बिकी। फतेहाबाद की टोहाना मंडी में 1121 बासमती 4090 रुपए प्रति क्विंटल बिका। जबकि इसी मंडी में 1509 बासमती 3500 रुपए प्रति क्विंटल बिका। 1121बासमती की खेती हरियाणा, पंजाब के सभी जिलों में होती है। यह ऐसी किस्म है, जो कमजोर भूमि में हो जाती है।
रानियां मंडी के आढ़ती दयाल सिंह, दीदार सिंह, गोरा सिंह का कहना है कि यह भाव 2014 में किसानों को मिला था। अबकी बार सात साल बाद मिला है। रानियां मंडी में बासमती बेचने आए किसान बलकार सिंह, मंगा सिंह का कहना है कि अबकी बार उत्पादन कम हुआ। खर्च पूरा हुआ, भाव में तेजी आने से कमी पूरी हो सकेगी। इस सीजन में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में बासमती का औसत उत्पादन कम हुआ। अच्छी पैदावार होने पर एक एकड़ में पीबी 1401 किस्म का उत्पादन 25 से 28 क्विंटल रहता है। परंतु अबकी बारी एक एकड़ में 18 से 20 क्विंटल उत्पादन हुआ। सिरसा कृषि विभाग के एसडीओ सुखदेव सिंह का कहना है कि बेमौसमी बारिश, गर्दन तोड़ बीमारी और तापमान के कारण उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत तक कमी आई है।
सिरसा में रतन राइस मिल के संचालक सन्नी का कहना है कि अबकी बार उत्पादन कम होने से राइस मिल संचालकों को यह लग रहा है कि माल पूरा होगा या नहीं। इसलिए मिलर्स तेज रेट पर खरीद कर रहे हैं। चावल के रेट में तेजी आई है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रधान विजय सेतिया का कहना है कि किसानों ने पेस्टीसाइड कम कर दिया है, जिससे चावल की डिमांड बढ़ी है। साथ ही निर्यात भी शुरू हो गया है।
Aluminium scrap powder production Aluminum recycling handling Environmental metal stewardship
Metal scrap reclamation and reuse Ferrous material profit maximization Iron raw material procurement
Ferrous material recycling economic analysis, Iron reclaiming yard, Metal scrap reclamation yard