सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
किसान की फसल अमूमन घर पहुंच चुकी है। अब इसके भंडारण की बात आन पड़ी है। इस बारे केएम राजकीय महाविद्यालय नरवाना में रसायन शास्त्र के एसोसिएट प्रो. जयपाल देसवाल का कहना है कि अनाज भंडारण करने की परंपरा देश में प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक विधि रही है। इसके लिए सुखाए हुए अनाज में नीम की पत्तियां, सूखा बालू रेत मिला दिया जाता था। नीम की पत्तियों के कारण सूरसी-कीड़े इत्यादि नहीं लगते थे और अनाज लंबे समय तक सुरक्षित रहता था। आजकल लोहे की टंकियों को भंडारण के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके लिए पहले टंकियों को तीन-चार दिन धूप में रखें और इनको कपूर या नीम के तेल से अंदर से साफ करें। इसके बाद अनाज बिल्कुल सूखा हुआ डालें। 25 मन अनाज के लिए लगभग 250 ग्राम शुद्ध हल्दी का पाउडर डालें। अगर संभव हो तो प्याज, लहसुन एवं तुलसी की सूखी पत्तियां भी डाल सकते हैं। आपका अनाज उत्तम दर्जे का रहेगा।
ना करें सल्फास की गोलियों का इस्तेमाल
सल्फास की गोलियां डालने से अनाज संक्रमित हो जाता है और जहरीले एलुमिनियम सल्फाइड एवं फास्फाइड रसायन से कैंसर होता है। उपरोक्त विधि प्राकृतिक है और इसे सरल और सुगमता से अपना सकते हैं। टंकियों को कपूर के तेल से साफ कर सकते हैं। बनाने की विधि 100 ग्राम सरसों तेल में दो टिकिया कपूर की मिलाकर धीरे धीरे गर्म करें, ताकि कपूर के वाष्प आग ना पकड़ लें। ऐसा करने से कपूर घुल जाएगा और इसी तेल को आप टंकी को साफ करने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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