सत्यखबर
भारत मानता है कि दूसरे देशों के कुछ राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए भारतीय किसानों के प्रति हमदर्दी दिखा रहे हैं। वैसे दूसरे देशों में स्थित भारतीय राजनयिक और दूतावास वहां के स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों को जमीनी हकीकत से रूबरू करवा रहे हैं।
यदि किसी दूसरे देश की सरकार के प्रतिनिधि की तरफ से इस मुद्दे को उठाया जाता है तो फिर उसका कूटनीतिक जवाब दिया जाएगा। हाल ही में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जब किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया था तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने उसका माकूल जवाब दिया था।
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अमेरिका के सात सांसदों ने विदेश मंत्री माइकल पोंपियो को पत्र लिख कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जारी किसान आंदोलन पर चिंता जताई है। इसमें भारतीय मूल की प्रमिला जयपाल के अलावा डोनाल्ड नॉरक्रॉस, बीएफ बॉयले, ब्रायन फिट्जपैट्रिक, मेरी गे सैलॉन, डेबी डिंगेल व डेविड ट्रोन शामिल हैं।
भारत का रुख बिल्कुल साफ
सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत का स्टैंड पूरी तरह से साफ है कि कृषि क्षेत्र में सुधार भारत की सुधारवादी प्रक्रिया के तहत उठाया गया कदम है। जहां तक इसके विरोध की बात है तो सरकार लगातार इन किसानों के साथ संपर्क में है और राजनीतिक विमर्श के जरिये इसे सुलझाने की कोशिश जारी है। भारत को यह भी उम्मीद है कि अमेरिका व ब्रिटेन की सरकारें इसे भारत के आंतरिक मामले के तौर पर ही देखेंगी। हाल ही में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने यह स्पष्ट भी किया था।
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