सत्य खबर करनाल
यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि जिस फसल को उगाने में किसान की त्वचा चिलचिलाती धूप में झुलस कर काली पड़ गई, उसी फसल की मंडी में इस कदर बेकद्री होगी, सोचा न था। किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद एजेंसियां दिखाई नहीं दे रही हैं। मुट्ठी में धान लेकर उसकी नमी बता रहे राइस मिलर्स, मंडियों में मनमाने भाव में खरीदारी कर रहे हैं।
कई-कई दिनों से धान की ढेरियों की रखवाली कर आजिज आ चुके किसान भी घाटे मुनाफे की चिंता छोड़कर किसी तरह धान को बेच रहे हैं। जो भाव मिल रहा है, उसमें से यदि लागत मूल्य घटाते हैं तो किसान खुद को घाटे में पाते हैं। लागत व उत्पादन मूल्य के अंतर देखकर पेसानी की लकीरें और गहरा जाती हैं। वहीं दूसरी ओर इसी फसल को सस्ते में खरीदकर मुनाफे की बढ़ोत्तरी की संभावना से कारोबारियों की आंखों की चमक जरूर बढ़ जाती है।
खेती में लागत के भी पड़ रहे लाले
ऊंचा समाना के किसान मित्रपाल बोले कि जिंदगी खेतों पर ही तमाम हो चुकी है, अब खेती घाटे का सौदा हो गई है। परिवार के पास जमीन तो पांच एकड़ है, इसमें हिसाब जोड़ा तो धान में कुल 78 हजार रुपये लागत आई है, जमीन का किराया जोड़कर यह लागत 2.25 लाख रुपये हो गई, लेकिन इस बार उत्पादन करीब 27 क्विंटल की दर से 135 क्विंटल हुआ। अभी तो धान बिका नहीं है, यदि सरकारी दर पर बिकता है तो 254880 रुपये मिलेगा, फिलहाल अभी तक राइस मिलर ने 1750 रुपये प्रति क्विंटल भाव लगाया है।
सरकारी खरीद वाले दो दिनों से अभी तक आए नहीं, इसलिए अब मिलर को ही बेचना पड़ेगा, तो 236250 रुपये मिलेंगे। इसमें यदि परिजनों की दिहाड़ी लगाए या फिर आढ़तियों से लिए गए धन का ब्याज जोड़े तो सौदा घाटे का साबित होगा। कुल मिलाकर इतनी मेहनत के बावजूद खाली हाथ ही हूं। कोई और काम आता नहीं है, इसलिए खेती करना मजबूरी है।
मंडी में चल रही सांठगांठ, धान की बेकद्री देख किसान उदास
-बूसली गांव के किसान रनवीर सिंह बताते हैं कि चार एकड़ धान लगाया है, खेत से सीधे ट्रालियों में लेकर मंडी पहुंच गए हैं। ढाई घंटे तक लाइन में लगने के बाद गेट पास मिला है, अब मंडी में भी तीन घंटे से खडे़ हैं। यहां कहीं जगह ही नहीं है धान उतारने के लिए। समझ में नहीं आता है कि क्या किया जाए, क्योंकि ट्राली तो शाम तक खाली करनी ही होगी। अन्यथा 1600 रुपये किराया और चढ़ जाएगा। मंडी में आकर धान की बेकद्री देखकर मन उदास हो गया। यहां तो राइस मिलर्स, आढ़तियों व खरीद एजेंसियों की सांठगांठ साफ दिख रही है। सरकारी एजेंसियों के लोग गायब हैं, राइस मिलर्स मनमाना रेट लगाकर धान खरीद रहे हैं, वह भी एमएसपी के नीचे।
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मुट्ठी में धान लेकर बता रहे नमी
-बजीदा जाटान गांव के किसान बलवान लाठर बताते हैं कि वह पीआर-126 धान लेकर कल आए थे लेकिन आज 1825 रुपये में बिका है। मंडियों में राइस मिलर्स ही खरीद रहे हैं। अधिकांश तो राइस मिलर्स ही आढ़तियों से संपर्क करके धान खरीद ले रहे हैं। राइस मिलर आया, बिना किसी मापक यंत्र के धान को मुट्ठी में लेकर कहा कि इसमें नमी अधिक है, इसका भाव 1825 ही मिलेगा। किसानों के पास भी कोई नमी मापक यंत्र नहीं है। मिलर जो बताता है, वह मानना पड़ता है। मजबूरी में क्या करते, धान को बेच दिया। संबंधों को भी बनाए रखना है।
1509 प्रजाति वाला किसान सर्वाधिक घाटे में
-यूपी के पुंडोरा से धान लेकर करनाल अनाज मंडी पहुंचे किसान काला का कहना है कि 1509 जैसा महीन धान राइस मिलर्स 1700-1800 रुपये प्रति क्विंटल खरीद रहे हैं। इस बार 1509 प्रजाति उत्पादित करने वाला किसान सर्वाधिक घाटे में हैं। इसका भाव पिछले साल 2500 रुपये था। इस साल सात से आठ सौ रुपये प्रति क्विंटल घाटे में बिक रहा है। सरकार दावा तो करती है लेकिन धान एमएसपी पर नहीं बिक पा रही है। सरकार मंडी से धान का उठान तक नहीं करा पा रही है। जाम लगा हुआ है, निकलना तक दूभर हो रहा है।
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