सत्य खबर । चंडीगढ़
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचार के मामलों को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। प्रदेश की जनता भय के साए में जीने को मजबूर है। पिछले कुछ दिनों में दलित वर्ग पर अत्याचार के मामलों ने हमें झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने साथ ही कहा कि प्रदेश में दलित वर्ग पर हो रहे अत्याचारों की रोकथाम के लिए तुरंत प्रभाव से ठोस कदम उठाए जाएं।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कुमारी सैलजा ने बताया कि कुरुक्षेत्र के बाबैन में दलित युवक की हत्या का मामला उठाते हुए कहा कि ताजा मामले में कुरुक्षेत्र के बाबैन में रादौर के घिलौर गांव निवासी दलित युवक सागर के साथ कुछ युवकों ने पहले मारपीट की व फिर अगवा कर उसकी हत्या कर दी गई।
यह बेहद ही दुखद है कि युवक के अगवा होने के बाद परिजन जब बाबैन थाने गए तो पुलिस ने अगवा युवक को ढूंढने की बजाय पीड़ित पक्ष पर ही केस दर्ज करने धमकी दी और उनकी सुनवाई नहीं की। यदि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो मृतक युवक सागर को बचाया जा सकता था। मृतक युवक के परिजन न्याय की लगातार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े भी हमारी चिंताएं बढ़ा रहे हैं। भाजपा सरकार के शासनकाल में हरियाणा प्रदेश में दलित समाज के खिलाफ अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। भाजपा सरकार के शासनकाल में दलितों पर अत्याचार के मामलों में साल दर साल वृद्धि हुई है। वर्ष 2014 में दलित समाज पर अत्याचार के 475 मामले दर्ज किए गए थे।
वहीं वर्ष 2015 में 510, 2016 में 639, वर्ष 2017 में 762, वर्ष 2018 में 961 मामले दर्ज हुए। वहीं वर्ष 2019 में दलितों पर अत्याचार के 1086 मामले दर्ज हुए। आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि भाजपा शासनकाल में दलितों पर अत्याचार के मामले दोगुने से ज्यादा हो गए हैं।
पत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग करते हुए कहा कि दलित युवक सागर की हत्या के मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच करवाई जाए। दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। इस मामले में ढिलाई बरतने वालों वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही प्रदेश में दलित वर्ग पर हो रहे अत्याचारों की रोकथाम के लिए तुरंत प्रभाव से ठोस कदम उठाए जाएं।
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