सत्यखबर
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन में अब तक 220 किसानों की मौत हो चुकी है। पंजाब सरकार ने उनके परिजनों को 10.86 करोड़ रुपए की मदद दी है।यह ख़बर ऐसे समय आई है जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि इस आन्दोलन में किसी के मारे जाने की जानकारी सरकार के पास नहीं है। यानी केंद्र सरकार यह कहना चाहती है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन में किसी की मौत नहीं हुई है, कम से कम उसकी जानकारी में तो नहीं ही है। केंद्र सरकार पहले भी कई बार किसान आन्दोलन में मौत से साफ इनकार कर चुकी है। यानी केंद्र सरकार यह कहना चाहती है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन में किसी की मौत नहीं हुई है, कम से कम उसकी जानकारी में तो नहीं ही है।
लेकिन ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने पंजाब सरकार के आँकड़े निकाले हैं, उनसे केंद्र के इस झूठ की पोल खुल जाती है। इस अख़बार के अनुसार, 20 जुलाई 2021 तक पंजाब में जिन 220 किसानों की मौत किसान आन्दोलन के दौरान हुई है, उनमें से 203 किसान मालवा, 11 माझा और छह दोआबा में मारे गए हैं। पंजाब सरकार का कहना है कि वह और अधिक मौतों के आँकड़े जुटा रही है।
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दूसरी ओर, किसान आन्दोलन से जुड़ी संगठनों के शीर्ष संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने 400 किसानों के मारे जाने का दावा किया है। इनमें से ज़्यादा पंजाब के हैं। पिछले आठ महीनों में सबसे ज़्यादा 43 मौतें संगरूर ज़िले में हुई हैं। मोगा ज़िले में 27, पटियाला में 25, बरनाला में 17 मंसा में 15, मुक्तेश्वर में 14 और लुधियाना ज़िले में 13 लोगों की मौत हुई है। पंजाब सरकार ने हर मृतक के परिजनों को पाँच लाख रुपए की मदद का एलान कर रखा है। मौत की ख़बर ऐसे समय आई है जब कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों की संसद जारी है। इस संसद का आयोजन संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर किया जा रहा है। किसानों की यह संसद 13 अगस्त तक चलेगी।
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